रायबरेली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। यहां स्वास्थ्य विभाग में तैनात फार्मासिस्ट पर आशा बहूओं ने वेतन भत्ता दिलाने के नाम पर वसूली किए जाने का आरोप लगाया है। रायबरेली में उत्तर प्रदेश सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति भ्रष्टाचारियों पर बेअसर साबित हो रही है। मामला यहां शहर कोतवाली क्षेत्र के किला बाजार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है। यहां पर तैनात फार्मासिस्ट अतुल पटेल पर आशा बहूओं ने पैसे दिलाने के नाम पर ₹1000 लिए जाने का आरोप लगाया है। दरशल आशा बहूओं का मासिक वेतन भत्ता ₹7000 मिलना है। जिसको लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत आने वाली सभी आशा बहू से एक ₹1000 लिया गया और कहा गया कि मार्च में आपको पैसा यानी वेतन भत्ता मिल जाएगा, लेकिन कई महीनो तक जब आशा बहू का भत्ता नहीं मिला तो मीडिया के सामने रूबरू होकर अपनी पीड़ा बताई, अभी आशा बहू पैसे के लिए फार्मासिस्ट से कहते हैं, तो बजट न होने का बहाना बता कर मामले को हटा दिया जाता है। जबकि दूसरे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र देवानंदपुर में आशा बहू का पैसा मिल गया है। वही जब अर्बन कोऑर्डिनेटर विनय पांडे ने कहा कि सभी आशा बहूओं का पैसा सितंबर माह में भेज दिया गया। लेकिन अकाउंट चेक किया गया तो उसमें आशा बहूओं का पैसा नहीं पहुंचा है। भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों की मनमानी का शिकार हुई आशा बहुएं वेतन और भत्ते के लिए भटक रही है।