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फुसरो : झामुमो नगर कमेटी ने स्वं विनोद बिहारी महतो की मनाया 101वीं जयंती

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झामुमो फुसरो नगर कमिटि के द्वारा मकोली मोड़ स्थित बिनोद बिहारी महतो चौक पर स्व बिनोद बिहारी महतो की 101वीं जयंती मनायी गयी। इसकी अध्यक्षता फुसरो नगर अध्यक्ष दीपक महतो ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में सीसीएल ढोरी जीएम रंजय कुमार सिन्हा व विशिष्ट अतिथि झामुमो जिला अध्यक्ष हीरा लाल मांझी उपस्थित रहे। यहाँ लोगों ने स्व विनोद बिहारी महतो की प्रतिमा पर माल्यर्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। जीएम श्री सिन्हा ने कहा कि वो महापुरुष थे। कहा कि बिनोद बाबू धनबाद में एक फुटबाल टूर्नामेंट में पढ़ो, खेलो और लड़ो का नारा दिए थे। उनके अनुसार जीवन में आगे बढ़ने के लिए शिक्षित होना जरूरी है और स्वस्थ रहने के लिए खेलना जरूरी है, साथ ही अपने हक और अधिकार के लिए हमेशा लड़ना होगा। बताया कि उन्होंने सामाजिक कुरीतियों के अलावा महाजनी शोषण का भी तीव्र विरोध कर लोगों के साथ आंदोलन चलाया। सामाजिक कार्य करने के कारण ही वे आज भी हमसबो के दिलों में बसे हैं। जिलाध्यक्ष श्री मांझी ने कहा कि स्व बिनोद बाबू आदर्श और प्रेरणा के तौर पर आज भी हमारे बीच मौजूद हैं। बिनोद बाबू में कुछ कर गुजरने का जो जज्बा था जो बेमिसाल था। वे जो ठान लेते थे उसे हर हाल में पूरा करते थे। एक वकील की टिप्पणी से आहत हुए तो खुद वकील बनने की ठान ली और वकील बन गए। समाज को शिक्षा के प्रति जागरूक किया। राजनीति में उतरे तो अपने सरल, मृदभाषी एवं गरीबों, शोषितों के हमदर्द स्वभाव के चलते तीन बार विधायक और एक बार सांसद रहे। दिशोम गुरु शिबू सोरेन के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की और झारखंड आंदोलन को धार दी। स्व बिनोद बिहारी महतो झारखंड आंदोलन के पुरोधा थे। इनके सामाजिक, राजनीतिक योगदान को हमेशा गर्व से याद किया जाता रहेगा। कहा कि हमारा राज्य खनिज संपदा से परिपूर्ण होते हुए बहुत पिछड़ा है। इसी को देखते हुए विनोद बाबू ने लोगों से पढ़ो और लडों का नारा दिया। वर्तमान में राज्य सरकार विनोद बाबू के सपनों को साकार करते हुए राज्य का चौमुखी विकास के लिए कदम बढ़ा चुका है।

नगर अध्यक्ष श्री महतो ने कहा कि उन्होंने अपने जीवनकाल में कुल 32 स्कूल-कालेज की स्थापना कर शिक्षा की अलख जगाई थी। जबकि झारखंड आंदोलन के दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था। झारखंड आंदोलन को नई दिशा देने के साथ-साथ शिक्षा के प्रसार को भी वे तत्पर रहे। उन्होंने झारखंड गठन व रचनात्मक विकास कराने के लिए अपना सारा जीवन झोंक दिया। अपने विद्यार्थी जीवन में उन्होंने जहां गांव के बच्चों को निश्स्वार्थ भाव से पढ़ाने का काम किया। वहीं, बड़े होकर सुशिक्षित समाज की परिकल्पना साकार करने के लिए आजीवन जुटे रहे। उनकी सोच थी कि जबतक लोग शिक्षित नहीं होंगे, तबतक विकास की रोशनी नहीं पा सकेंगे। शिक्षित होने के बाद ही अपना वाजिब हक लोग प्राप्त कर पाएंगे।

मौके पर जिला सचिव जयनारायण महतो, उपाध्यक्ष घुनु हांसदा, मोहन मुर्मु, संयुक्त सचिव इकबाल अहमद, पानबाबू केवट, केंद्रीय सदस्य बनवीर मिश्रा, वरिष्ठ नेता अनिल अग्रवाल, प्रखंड अध्यक्ष रंजीत महतो, जेसीएमयू ढोरी क्षेत्र के सचिव जयनाथ मेहता, युवा नेता भोलू खान, मंगल हांसदा, सेवा महतो, कैलाश ठाकुर, पान बाबू केवट, अनिल रजवार, अजय साव, महताब खान, शमसुल असांरी, टेकनारायण महतो, अमित विश्वकर्मा, प्रदीप महतो, सोनू, मोशीन रज्जा, जितेंद्र नायक, रणधीर राम, हर्ष कुमार, दिपक गुप्ता, रोहित महतो, रोहित महतो, रथू वाउरी, कालीचरण टुडू, कुंती देवी, सोनी देवी, बुलबुल देवी आदि लोग मौजूद थे।

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