3 अक्टूबर बृहस्पतिवार से नवरात्र प्रारंभ हो रहा है। ऐसी मान्यता है कि यदि आप शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में सही विधि से माता के विभिन्न स्वरुपों की पूजा करते हैं तो जीवन में सदैव खुशहाली बनी रहती है। आइए आपको बताते हैं नौ दिनों की पूजा विधि के बारे में विस्तार से।
शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख और पवित्र त्योहारों में से एक है, यह पर्व मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का समय होता है। यह पर्व देवी दुर्गा की विशेष पूजा के लिए जाना जाता है, जिसमें भक्त पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की उपासना करते हैं।
नवरात्रि का यह पावन समय हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरु होता है और अश्विन महीने की नवमी तिथि तक चलता है। इन नौ दिनों के दौरान भक्त विधिपूर्वक मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। नवरात्रि के हर दिन मां दुर्गा के एक अलग रूप की पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा से भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में आने वाली कठिनाइयों और संकटों का निवारण होता है।
शारदीय नवरात्रि में नौ दिनों में माता के विभिन्न स्वरुपों की पूजा का अलग तरीका और पूजा विधि होती है। इस पूजा विधि में कलश स्थापना से लेकर कन्या पूजन तक के कई धार्मिक अनुष्ठान शामिल होते हैं। इन धार्मिक क्रियाओं के माध्यम से मां दुर्गा की कृपा से भक्तों को जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, शांति, और उन्नति प्राप्त होती है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें शारदीय नवरात्रि के प्रत्येक दिनों की पूजा विधि के बारे में विस्तार से।
मां दुर्गा का पहला स्वरूप शैलपुत्री का है। इस दिन भक्त मां शैलपुत्री की पूजा कर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में स्थिरता और साहस प्राप्त करते हैं।
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, जो मां दुर्गा का पहला स्वरुप हैं। शैलपुत्री माता पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और इन्हें शक्ति की देवी माना जाता है। इस दिन भक्त मां शैलपुत्री की आराधना कर उनके आशीर्वाद से जीवन में शक्ति, शांति और समृद्धि प्राप्त करने की कामना करते हैं।
इस दिन की पूजा विधि के अनुसार आप सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध करके, कलश की स्थापना करें। कलश में जल भरकर उसके ऊपर नारियल और आम के पत्ते रखें। मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें, इसके बाद मां का ध्यान करके उन्हें लाल वस्त्र, फूल, अक्षत, चंदन, और धूप-दीप अर्पित करें। मां शैलपुत्री को सफेद फूल और विशेष रूप से गाय का घी चढ़ाएं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे भक्त के स्वास्थ्य में सुधार होता है और जीवन में समृद्धि आती है।
पूजा के अंत में मां शैलपुत्री की आरती करें और प्रसाद वितरण करें। भक्त इस दिन व्रत रखकर मां शैलपुत्री से अपने जीवन की समस्त परेशानियों का निवारण करने की प्रार्थना कर सकते हैं। यदि हम नवरात्रि के नौ दिनों तक यहां बताई विधि के अनुसार पूजन करेंगे तो आपके जीवन में समृद्धि बनी रहेगी।