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GBS सिंड्रोम से पुणे में एक और मौत, कैसे करोना से भी जानलेवा है ये बीमारी?

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रिपोर्ट : कुशल त्रिपाठी

GBS सिंड्रोम आमतौर पर किसी भी संक्रमण के बाद होने वाली बीमारी है. अभी पुणे में जितने भी मरीज GBS के पाए गए हैं उन मरीज को पहले से पेट में दर्द की गड़बड़ी और दस्त उल्टी की शिकायतें देखने को मिल रही थी. हालांकि केंद्र सरकार के द्वारा प्रभावित इलाकों में टीम भेजी जा रही है. ये टीम पूरे GBS सिंड्रोम से प्रभावी इलाके की निगरानी कर GBS सिंड्रोम से पीड़ित लोगों को ट्रेस कर रही है. इसके बाद उनको हॉस्पिटल तक ले जाने का काम कर रही हैं।

हाल ही में महाराष्ट्र में पुणे सीटी की गुइलेन-बैरे इलाके में GBS सिंड्रोम के कारण एक मरीज की मौत का मामला सामने आया है. आप को बताते चले कि GBS के कारण पहली मौत सोलापुर जिले में हुई थी. न्यूज नेशन भारत के रिपोर्ट्स की माने तो चार्टर्ड अकाउंटेंट कुछ दिन पहले सोलापुर जिले से पुणे आए थे. इसी समय के दौरान उनकी तबीयत धीरे–धीर बिगड़ने लगी थी. उन्हें सोलापुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. महाराष्ट्र में अब तक लगभग GBS(गिलियन बैरे सिंड्रोम)के 101 मामले एक्टिव रूप से देखे जा रहे हैं. इसमें 16 मरीजों की हालत काफी गंभीर बताई जा रही है. हालांकि उन 16 मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा गया है. इसमें 81 मरीज पुणे से 14 पिपंरी चिंचवाड़ और 6 अन्य क्षेत्रों से बताए जा रहे हैं.

पुणे की मौत से देश में डर का माहौल

GBS(गुइलेन-बैरे सिंड्रोम) वायरस के चपेट एक शख्स की मौत ने पुणे, महाराष्ट्र समेत पूरे देश को चिंता के सबब में डाल दिया है. आप को बताते चले कि GBS सिंड्रोम से अभी तक किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई थी, लेकिन सोलापुर जिले के चार्टर्ड अकाउंटेंट की मौत के बाद इस बीमारी को लेकर लोगों में भी दहशत का माहौल बना हुआ है.

किस–किस को अधिक खतरा ?

GBS (गुइलेन-बैरे सिंड्रोम)का सबसे अधिक खतरा बुजुर्गों, बच्चों को है. साथ ही जो भी शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति हैं. उनमें इस वायरस का अत्यधिक खतरा है. इसके अलावा हाई रिस्क बीमारी वाले मरीजों के लिए तो दर्द नाक मंजर से कम नहीं है और यह बीमारी सबसे खतरनाक साबित हो सकती है. जीबीएस सिंड्रोम से जुड़ी मौतों का खतरा पुरुषों में महिलाओं की तुलना में ज्यादा होता है इसी कारण पुरुषों में इसका ज्यादा खतरा देखने को मिलता है।

न्यूरोलॉजी विभाग के डॉ राज कुमार ने क्या कहा?

राजधानी दिल्ली के जीटीबी अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के डॉ राज कुमार ने खास बात चित के दौरान बताया कि गुइलेन बैर सिंड्रोम एक दुर्लभ के साथ–साथ अचानक होने वाली बीमारी है. इस खतर नाक वायरस वाली बीमारी से इम्यून सिस्टम अपनी ही नसों को नुकसान पहुंचाता है. इससे सुन्नपन, मांसपेशियों में कमजोरी, पैरालायसिस होने का खतरा अत्याधिक हो जाता है. कई बार यह बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती है.

डॉक्टर राज कुमार की मानें तो

बैक्टेरिया और वायरलस संक्रमण जीबीएस का कारण बनते हैं. जिसके कारण मरीजों का इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) अत्यधिक कमजोर पड़ने लगता हैं और ये अपनी नर्वस सिस्टम पर ही हमला कर देता है. जिसके कारण मरीजों को अपनी जान गवानी पड़ती हैं.

क्या हैं GBS के लक्षण

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) एक दुर्लभ ऑटोइम्यून प्रकार की बीमारी है. आप को बतादे कि यह आमतौर पर किसी संक्रमण के बाद होने वाली बीमारी है. यह कैम्पिलोबैक्टर के कारण होने वाले गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण के बाद होने वाली बिमारी है. इसमें तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम, सेप्सिस, निमोनिया, समेत कई अन्य प्रकार की समस्याये भी हो सकती है. जिसके कारण GBS से पीड़ित मरीज के शरीर के हिस्से अचानक से सुन्न होने लगते हैं साथ ही हाथ और पैरों में बहुत ज्यादा कमजोरी जैसे लक्षण दिखने को मिलने लगते हैं. इस दुर्लभ बीमारी में पैर में लकवा होने का असर भी देखने को मिल सकता हैं. सांस वाली नसों को भी प्रभावित कर सकता है. जिसके कारण सास लेने में भी तकलीफ होती है।

पीड़ित मरीजों को वेंटिलेटर पर भी करना पड़ता है

मिली जानकारी के अनुसार GBS के मरीज को वेंटिलेटर पर चले जाते हैं. इस बीमारी का सैंपल जांच करने वाली लैब नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के अनुसार अब तक GBS के 21 सैंपल में नोरोवायरस और कैम्पिलोबैक्टर जेजूनी बैक्टीरिया पाया गया है. इसके कारण वस मरीज को उल्टी दस्त और पेट में दर्द, एठन, गड़बड़ी जैसे लक्षण ज्यादा होते हैं. जो मरीज अभी जब से पीड़ित मरीज हैं उनमें ये लक्षण पहले से ही पाए जाए थे ।

न्यूज नेशन भारत की टीम से क्या कहा दिल्ली की जनता ने

आपको बताते चले कि जब न्यूज नेशन भारत की टीम ने आम लोगों से GBS सिंड्रोम वायरस के बारे में बात के लिए गए .तो, लोगों ने सरकार से अपील की है .की जल्द से इस बीमारी का हल निकलना होगा .नहीं तो आने वाले समय में इसके दुष्परिणाम देखने को मिले गा इसी लिए समय रहते ही . इस पर कड़े कदम उठाने होगे.

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