दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए शासन द्वारा की जा रही पहल में ब्लॉक संसाधन केंद्र अमावा में परिषदीय विद्यालयों के नोडल शिक्षकों के द्वितीय बैच को पांच दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विकासखंड की खंड शिक्षा अधिकारी रिचा सिंह ने की तथा कार्यक्रम में प्रशिक्षक के रूप में जिला प्रशिक्षक समेकित शिक्षा अभय प्रकाश श्रीवास्तव एवं विशेष शिक्षिका मीना वर्मा ने प्रशिक्षण प्रदान किया तथा मॉडल पर्सन के रूप में दृष्टि बाधित बालक शबाब अली उपस्थित रहे। कार्यक्रम में विशेष शिक्षक अभय प्रकाश श्रीवास्तव ने भिन्न-भिन्न प्रकार की दिव्यंग्नताओं के भिन्न-भिन्न कारण उनकी पहचान एवं निदान के विषय में विस्तार पूर्वक चर्चा की तथा इसका समाधान दार्शनिक परिप्रेक्ष्य के साथ भी कैसे किया जा सकता है इस पर गहनता से विमर्श स्थापित किया। प्रशिक्षक मीना वर्मा ने श्रवण दिव्यांगता विषय पर चर्चा करते हुए उसके कारण निदान एवं साइन लैंग्वेज पर चर्चा की। प्रशिक्षण में शिक्षकों ने पूरे उत्साह के साथ प्रतिभाग किया। तथा अपनी प्रस्तुति के दौरान अपनी अभिव्यक्ति को मंच पर आकर साझा भी किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही खंड शिक्षा अधिकारी रिचा सिंह प्रशिक्षकों की सराहना करते हुए कहा कि इन्होंने बहुत ही तन्मयता से प्रशिक्षण प्रदान किया है और उसी प्रकार आपको विद्यालय में उसका अनुपालन भी करना है और अन्य शिक्षकों को भी प्रेरित करना है ताकि अधिक से अधिक जानकारी का प्रसार हो सके। उपस्थित शिक्षक संघ के अध्यक्ष शशि प्रकाश श्रीवास्तव ने भी प्रशिक्षकों के कार्यों की सराहना की है एवं बताया कि यह प्रशिक्षक बहुत ही आत्मिक तरीके से दिव्यांगों के साथ जुड़ाव के साथ काम करते हैं और उनके घर-घर जाकर उनसे संपर्क स्थापित करते हुए ने प्रेरित करते हैं। शिक्षकों व शिक्षिकाओं ने प्रशिक्षकों के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए उनके कार्यों की काव्य एवं शायरी के माध्यम से उनका भावपूर्ण अभिवादन किया। प्रशिक्षक अभय प्रकाश श्रीवास्तव की मार्मिक ग़ज़ल पढ़ने को मेरा उसने…एवं दृष्टिहीन बालक शबाब अली के भावुक गीत तेरी उंगली पकड़ के चला… सुन कर उपस्थित तमाम शिक्षक भावुक हो गए। शिक्षकों आयशा जय सिंह प्रज्ञा गीता संध्या शुक्ला हनी गुलाटी करुणा यादव बिरजिश अंजुम बबीता श्रीवास्तव अल्पना ज्ञान सागर अजय सिंह आदि ने अपनी प्रस्तुति के दौरान यह बात स्वीकार की। इस ट्रेनिंग के दौरान दिव्यांगों के प्रति उनके दृष्टिकोण में काफी परिवर्तन आया है और जिन्हें वह अभी तक लाचार समझ रहे थे उनके प्रति अब कुछ करने का भाव मन में जगा है।