मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड आंदोलनकारियों का दर्द समझें, आंदोलनकारियों को मिले मान सम्मान : राजू महतो
रिपोर्ट : मोहन कुमार
रांची : झारखंड आंदोलनकारी महासभा केन्द्रीय समिति के तत्वाधान में गुरुवार को जेल जाने की बाध्यता समाप्त करते हुए सभी आंदोलनकारियों को मान-सम्मान, पहचान, नियोजन पेंशन सहित लंबित 11 सूत्री मांगों के समर्थन में मोरहाबादी स्थित बापू वाटिका की प्रतिमा पर केन्द्रीय अध्यक्ष राजू महतो व अन्य साथियों द्वारा माल्यार्पण कर एक दिवसीय सामूहिक उपवास कार्यक्रम शुरू किया गया। मौके पर झारखंड आंदोलनकारी महासभा के केन्द्रीय अध्यक्ष राजू महतो ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड आंदोलनकारियों का दर्द समझें और जेल जाने की बाध्यता समाप्त करते हुए सभी आंदोलनकारियों को समान रूप से मान-सम्मान नियोजन पेंशन सहित सभी सुविधाएं मुहैया कराएं। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों के हित में कम से कम गुरूजी आदरणीय शिबू सोरेन मॉडल को अविलंब लागू किया जाए। गुरुजी के मांग के मुताबिक प्रत्येक आंदोलनकारी को 8000 रूपए पेंशन, एक-एक पक्का मकान, चिकित्सा, नियोजन सहित सभी सुविधाएं लागू करेंगे। उन्होंने कहा कि आज हमलोग तो सामूहिक उपवास कर रहे हैं। अगर हमसे वार्ता नहीं की गई और आंदोलनकारियों की मांगों पर विचार नहीं की गई, तो हम आमरण अनशन पर जाएंगे। प्रधान महासचिव कयूम खान ने कहा कि झारखंड अलग राज्य बने 24 वर्ष बीत गए, लेकिन झारखंड आंदोलनकारियों की समस्याएं और मांगें जस के तस बनी हुई है। आंदोलनकारियों के हित में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आंदोलनकारियों की समस्याओं के समाधान में गंभीरता दिखलाई जाए। जिससे झारखंड आंदोलनकारियों में पनप रहे आक्रोश खत्म हो। उपाध्यक्ष किशोर किस्कू ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारियों की स्थिति आज हाशिए पर हैं।लगातार अपने मान-सम्मान की लड़ाई के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री श्री सोरेन झारखंड आंदोलनकारियों के प्रति संवेदनशील बनें और जल्द से जल्द आंदोलनकारियों की मांगों का समाधान करें। वित्त सचिव प्रेम मित्तल ने कहा कि आंदोलनकारियों के कारण ही राज्य में हमारी पहचान है। इस पहचान को संघर्ष के बल पर सुनिश्चित करनी होगी। प्रत्येक आंदोलनकारी अपनी पहचान के लिए अपनों से ही लड़ाई लड़ रहे हैं, जो दुर्भाग्य की बात है। महासचिव शिवशंकर शर्मा ने कहा कि 24 वर्षों के पश्चात भी झारखंड आंदोलनकारियों की पहचान नहीं होना दुर्भाग्य की बात है। आज बार-बार अपने मान-सम्मान पहचान के लिए झारखंड आंदोलनकारियों को संघर्ष करना पड़ रहा है। केन्द्रीय सचिव बालकिशुन रजवार ने कहा कि आंदोलनकारियों की भावनाओं के अनुरूप झारखंड अलग राज्य को गढ़ने का काम करें। केन्द्रीय महिला संयोजिका विनिता खलखो ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारी आज अपने अलग राज्य में परदेशी की भूमिका में जीवन यापन कर रहे हैं। यह सबसे दुखद स्थिति है। सत्ता में जो बैठे हैं, झारखंड आंदोलनकारियों के त्याग बलिदान और संघर्ष के बल पर हैं।

संबोधित करने वालों में केन्द्रीय उपाध्यक्ष भुनेश्वर सेनापति, लक्ष्मी देवी, लोहरदगा जिला कार्यकारी अध्यक्ष अमर किन्डो, दिनेश साहू, छत्रपति महतो, सीता उरांव, गोंदे प्रधान, आरीफ खान, बिरसा मुंडा, भोला मांझी, इसरार अहमद आदि शामिल थे। मौके पर एरेन कच्छप, उषा रानी लकड़ा, सुमित्रा देवी, तारामनी मिंज, शिवचरण मंडल, विशेषण भगत, सीताराम तूरी, दामोदर प्रसाद महतो, उषा टोप्पो, प्रदीप राणा, समेत बड़ी संख्या में झारखंड आंदोलनकारी मौजूद थे।