सदर तहसील क्षेत्र के ब्लाक अमावां स्थित प्राचीन कोटेश्वर महादेव मंदिर पौराणिक मंदिर है। पूर्वजो का कहना है, कि मुगलों के समय यह किला हुआ करता था, जब मुगलों ने आक्रमण किया, तो दैवीय की कृप्या से किला समाप्त हो गया। तभी राजा की लड़की को अत्याचारियों से बचाने के लिए महादेव भोलेनाथ शिव शंकर द्वारा किला पलट दिया गया यह मानना है। मंदिर के सेवादार राजेश तिवारी ने बताया कि पूर्वजों का कहना है कि डलमऊ के राजा सातन के जमाने में इसी में तीनों शिव स्वयंभू प्रकट हुए थे, तभी राजा सातन ने प्रयास किया था कि तीनों शिव लिंगों को यहां से लेकर डलमऊ स्थापित किया जाए, किंतु ऐसा करने में नाकाम रहे। 15-20 दिनो तक खुदाई होने के बाद असफल होने पर शिवलिंगों का जब अंत नहीं मिला तो राजा ने यही पर मंदिर का निर्माण करवा दिया, ऐसा पूर्वजों का मानना है।

यह प्राचीन कोटेश्वर शिव मंन्दिर सताँव विकास खण्ड की तीन ग्राम सभाओ के मध्य एक ऊचे किले पर स्थापित है जिसके उत्तर दिशा में नहर पूर्व दिशा मे गेट के सामने बेहतर रोड है। जिससे श्रद्धालुओं कोआवागमन के लिए बड़ी सुगमता होती है। आज के दिन विशाल मेला लगता है क्षेत्र के लोग पूजा अर्चन के बाद सभी के सहयोग से सुबह से दो, तीन.टोलियो में फाग गायन व खीर प्रसाद वितरण प्रारम्भ हो जाता है, जो शाम तक चलता रहता है, जो भी फागगायक टोली विजेता व उपविजेता टोली को अंगवस्त व पुस्कार से सम्मानित किया जाता है। कोटेश्वर मन्दिर में प्रत्येक दिन श्रद्धालु भक्त दूर – दूर से श्रद्धा लेकर आते पूजा अर्चन करते है। इस कोटेश्वर मंदिर में देख भाल के लिए 24 घंटे श्याम बाबा मौजूद रहते हैं, वही सेवादार के रूप में राजेश तिवारी सताँव तथा आर्यन अर्जुन गोस्वामी महादेव की सेवा मे सुबह शाम लगे रहते हैं।