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झारखंड का अनोखा गांव, जहां 300 वर्षों से नहीं खेली गई होली, जानें पौराणिक कथा

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भारत का अनोखा गांव, जहां 300 वर्षों से नहीं खेली गई होली

घरों में पुआ-पकवान बनाते हैं, लेकिन रंग से रहते हैं दूर

कथाओं के अनुसार गांव में फैल गई थी महामारी


भारत के हर कोने में होली उल्लास और रंगों का त्योहार होता है, लेकिन झारखंड के बोकारो जिले के कसमार प्रखंड स्थित दुर्गापुर गांव की कहानी अलग है। यहां के लोग होली का नाम सुनकर ही सिहर उठते हैं, क्योंकि बीते 300 वर्षों से इस गांव में होली नहीं खेली जाती। गांव के बुजुर्गों के अनुसार, इसके पीछे एक ऐतिहासिक घटना छिपी है, जिसे लेकर गांव के लोग आज भी मान्यताएं निभा रहे हैं।

लोककथा

लोककथाओं के अनुसार, दुर्गापुर गांव के राजा दुर्गा प्रसाद की हत्या रामगढ़ के राजा के द्वारा होली के दिन की गई थी। इस घटना के बाद गांव में होली खेलना अशुभ माना जाने लगा और धीरे-धीरे यह परंपरा समाप्त हो गई। करीब 100 साल बाद गांव में मल्हार जाति के कुछ खानाबदोश लोग आए, जो होली के दिन रंग और गुलाल से खेल रहे थे। उसी दिन गांव में दो लोगों की मौत हो गई और महामारी फैल गई।

गांव के लोग पाहन (गांव के पुजारी) के पास पहुंचे और उन्होंने इसे होली खेलने की वजह से हुआ दुर्भाग्य बताया। इसके बाद ग्रामीणों ने दुर्गा पहाड़ के पास स्थित बाबा बड़राव की पूजा-अर्चना की और गलती के लिए क्षमा मांगी। तभी जाकर गांव में शांति स्थापित हुई और गांव में होली खेलने पर सख्त प्रतिबंध लग गया।

बाबा बड़राव को पसंद नहीं है रंग

गांव के बुजुर्गों के अनुसार, बाबा बड़राव को रंग पसंद नहीं है। उनका मानना है कि यदि गांव में रंग खेला गया तो कोई अनहोनी हो सकती है। इस मान्यता के चलते यहां के लोग होली खेलने से पूरी तरह परहेज करते हैं। यदि किसी को रंग खेलना होता है तो वे अपने ससुराल या मामा के घर जाकर होली मना सकते हैं।

दुर्गापुर गांव की अनोखी परंपरा


दुर्गापुर गांव में 11 टोले हैं और कुल आबादी 5,000 से अधिक है। जो महिलाएं शादी करके यहां आती हैं, वे भी इस परंपरा को निभाती हैं और होली नहीं खेलतीं। गांव के लोग होली के दिन घरों में पुआ-पकवान तो बनाते हैं, लेकिन रंग-गुलाल से दूर रहते हैं।

राजा दुर्गा प्रसाद का अंत


गांव के लोग बताते हैं कि रामगढ़ के राजा पद्दम की रानी होली से दो दिन पहले बंगाल से अपने मायके होते हुए इस रास्ते से गुजर रही थीं। राजा दुर्गा प्रसाद ने उन्हें रोका और उनके सामान की जांच की। रानी के बक्से में नई साड़ियों को देखकर राजा ने उसे खुलवाया। रानी को यह अपमानजनक लगा और उन्होंने रामगढ़ के राजा से शिकायत कर दी। इस पर राजा पद्दम ने होली के दिन अपनी सेना के साथ दुर्गापुर पर हमला कर दिया और राजा दुर्गा प्रसाद की हत्या कर दी।

तभी से गांव के लोग होली को एक अपशकुन मानते हैं और इस दिन रंग नहीं खेलते। हालांकि, वे स्वादिष्ट पकवान बनाकर त्योहार की खुशी मनाते हैं।

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