मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आईएम बीजेपी फ्यूचर फोर्स के कार्यक्रम के दौरान एक ऐसा सवाल उठा जिसने सबको चौंका दिया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने युवाओं से पूछा – “भारत को आजादी कब मिली?” जवाब सुनकर हर कोई अचंभित रह गया। कई युवाओं ने जवाब दिया – 2014 में! यह सुनते ही माहौल गंभीर हो गया। सवाल उठता है – क्या यह जवाब मासूम अज्ञानता थी या इतिहास से छेड़छाड़ का नतीजा?
इतिहास का साया, वर्तमान की परछाई
सीएम मोहन यादव ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि “जब तक हम अपने इतिहास को नहीं समझेंगे, तब तक उसकी अहमियत को भी नहीं जान पाएंगे।” उन्होंने भारत की गुलामी, आजादी और उसके बाद की सरकारों की नीतियों पर विस्तार से चर्चा की। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है – क्या देश के युवाओं को सही इतिहास सिखाया जा रहा है, या फिर किसी खास एजेंडे के तहत उनकी सोच को बदला जा रहा है?
लोकतंत्र या सत्ता का खेल?
सीएम ने अपने भाषण में कहा कि पहले के समय में राजाओं का शासन था। गुलाम होने से पहले पृथ्वीराज चौहान भारत के अंतिम सम्राट थे। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण और सम्राट विक्रमादित्य की शासन पद्धति का उदाहरण देते हुए बताया कि “सही नेतृत्व में ही प्रजा का कल्याण संभव है।” सवाल यह उठता है कि क्या इतिहास को राजनीतिक चश्मे से देखने से लोकतंत्र मजबूत होगा या कमजोर?
MP के सीएम ने युवाओं से पूछा देश कब आजाद हुआ, जवाब मिला- 2014 में
डॉ. मोहन यादव ने 2014 को “नई आजादी का वर्ष” बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए परिवारवाद को खत्म करने की पहल की है। लेकिन सवाल यह उठता है – क्या इससे पहले देश में लोकतंत्र नहीं था? क्या 1947 की आजादी को भुलाने की साजिश हो रही है?
राजनीति का नया पाठ या भुलाया जा रहा इतिहास?
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि 2003 से पहले प्रदेश में विकास का कोई काम नहीं हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सत्ता को सिर्फ अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया। लेकिन क्या यह सच है या फिर इतिहास को अपने हिसाब से ढालने का प्रयास?