रिपोर्ट :- आयुष मौर्य
रायबरेली (डलमऊ ) : डलमऊ ट्रांसमिशन पावर हाउस से 10 विद्युत उपकेंद्रों को बिजली की पूर्ति की जाती है। डलमऊ पावर हाउस के कर्मचारी सीयूजी नंबर कभी नहीं उठाते, एवं रात में अघोषित से बिजली की कटौती की जाती है, उसके बाद यह भी नहीं सुनिश्चित होता रात में बिजली कब आएगी। अपर अभियंता अक्सर डलमऊ ट्रांसमिशन पावर हाउस से गायब रहते हैं। इसकी वजह से कर्मचारी निरंकुश हैं। मौसम एवं गर्मी के तीखे होते तेवर ने जिले में बिजली की मांग बढ़ा दी है, कूलर व एसी के कारण बड़ी खपत से मौजूदा समय में बिजली मांग 250 मेगावाट के पार पहुंच गई है। दिन में महज 1 से 2 घटे ही बिजली मिल रही है। कभी शाम 5:00 बजे तो कभी शाम 6:00 बजे बिजली आती है, कभी-कभी तो रात में अघोषित ही बिजली की कटौती हो जाती है। जबकि शहर क्षेत्र में 24 घंटे बिजली और ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे बिजली आपूर्ति का शेड्यूल है। असमय बिजली की कटौती से शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की नींद हराम हो जाती है, बिजली नहीं आने से गर्मी और मच्छरों के आतंक से लोग अच्छे से सो नहीं पा रहे हैं।
लालगंज से मनीष कुमार, गदागंज से राम सिंह यादव ने बताया कि विगत वर्ष की तरह इस बार भी अघोषित बिजली की कटौती शुरू हो गई है। एक सप्ताह पहले बिजली कि मांग 240 मेगावाट थी, जो वर्तमान में बढ़कर 260 मेगावाट तक पहुंच गई है।