ब्यूरो रिपोर्ट : वंश बहादुर सिंह
उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है, लेकिन रायबरेली जिले के सलोन ब्लॉक में स्थित कंपोजिट स्कूल अतरथरिया में शिक्षा व्यवस्था भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है। सूत्रों के अनुसार, इस विद्यालय में सहायक अध्यापक नियमित रूप से अनुपस्थित रहते हैं, फिर भी उनके हस्ताक्षर उपस्थिति रजिस्टर में समय पर दर्ज हो जाते हैं। प्रधानाध्यापक की मिलीभगत से यह खेल चल रहा है, जिसके तहत अनुपस्थित शिक्षक मोटी रकम सरकारी खजाने से वसूल रहे हैं। इससे न केवल सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है, बल्कि विद्यार्थियों की शिक्षा का स्तर भी लगातार गिर रहा है। इस भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा शिकार स्कूल के मासूम बच्चे हैं, जिनका भविष्य दांव पर है। अनुपस्थित शिक्षकों के कारण कक्षाएं नियमित नहीं होतीं, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। अभिभावकों और स्थानीय लोगों में इस स्थिति को लेकर गहरा आक्रोश है। सूत्र बताते हैं कि कुछ शिक्षक तो विद्यालय आए बिना ही वेतन ले रहे हैं, जो सरासर अनैतिक और गैरकानूनी है। यदि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो, तो सच्चाई सामने आ सकती है।
उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं। भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की जा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कंपोजिट स्कूल अतरथरिया में भी जांच होगी? क्या दोषी शिक्षकों और प्रधानाध्यापक पर उचित कार्रवाई की जाएगी? स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि इस मामले की गहन जांच हो और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को दंडित किया जाए। यह मामला न केवल शिक्षा व्यवस्था की कमियों को उजागर करता है, बल्कि सरकार के सामने एक चुनौती भी पेश करता है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह भ्रष्टाचार और गहरा हो सकता है।