नेता विजय विद्रोही के नेतृत्व में किया गया प्रदर्शन
बुधवार को कलेक्ट्रेट में उत्तर प्रदेश मिड डे मील वर्कर्स यूनियन सम्बद्ध ऐक्टू के राज्यव्यापी आह्वान के तहत बड़ी संख्या में रसोईया कर्मियों ने विकास भवन पर धरना दिया, बाद में डिग्री कॉलेज चौराहे होकर जिलाधिकारी कार्यालय तक जुलूस निकालकर जोरदार प्रदर्शन करते हुए अपनी मांगो के समर्थन में आवाज बुलन्द की। बताते चलें कि प्रदर्शन कारियों की यूनियन जिलाध्यक्ष सरस्वती देवी ने कहा कि आज मेहनतकश हिस्से के सामने जीवित रहने की भी स्थिति नहीं बची है। मिड डे मील वर्कर्स, मुफ्त की महिला कामगार हैं। जिनको जानलेवा काम के बोझ के नीचे दबाकर उनके श्रम और क्षमता की लूट जारी है। एक दशक से अधिक समय से अनवरत सेवारत मिड डे वर्कर्स आज भी दो हजार रुपए में महीने भर भटने के लिए विवश हैं। सरकारें जिस विकास की बड़ी बड़ी बातें करती हैं, उसकी असलियत रातों दिन पसीना बहाने के बावजूद भूखे पेट सोने को मजबूर किसी मजदूर की जिंदगी में झांक कर सहज ही देखा जा सकता है।
सरस्वती ने कहा कि पूंजीपतियों को लाखों करोड़ की कर्जमाफी का उपहार देने वाली सरकार हम रसोईया कर्मियों को 6 माह से 2000 रु जैसे शर्मनाक मजदूरी भी नहीं दे पा रही है। जिला सचिव विद्या देवी ने कहा कि 2013 में हुए भारतीय श्रम सम्मेलन ने आशा, मिड डे मील और आंगनवाड़ी वर्कर्स को स्थाई कर्मचारी का दर्जा देकर न्यूनतम वेतन दिए जाने ईएसआई, ईपीएफ, ग्रेडुटी और मातृत्व अवकाश दिए जाने की सिफारिश की थी, किंतु पिछले 16 वर्षों से वह रिपोर्ट धूल फांक रही है और यह तीनों कामगार बेगार में अपना जीवन खपा रहे हैं।
बाद में, मिड डे मील वर्कर्स के वर्ष 2025 के 6 माह से बकाया मानदेय का तत्काल एकमुश्त भुगतान सुनिश्चित करने, 12 माह का मानदेय दिए जाने, 45 वे श्रम सम्मेलन की सिफारिशों के अनुरूप न्यूनतम वेतन की गारंटी किए जाने और सेवानिवृत्ति की दशा में ग्रेडयूटी के रूप में 3 लाख रु और पेंशन दिए जाने की मांग का मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन दिया गया।