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नमो बजट-विकसित भारत का रोड मेप

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रिपोर्ट :- सत्येंद्र जैन

भोपाल :- मोदी सरकार का अंतरिम बजट वर्ष 2024- 25 संसद के पटल पर प्रस्तुत किया गया है। यह बजट,देश की स्वतंत्रता के अमृत काल पश्चात्‌ वर्ष 2047 के स्वतंत्रता शताब्दी के संकल्प विकसित भारत के ऊषा काल का बजट है। वर्ष 2047 तक भारत विकसित राष्ट्र हो जाएगा वर्तमान में भारत विश्व में पांचवी आर्थिक शक्ति संपन्न देश है और आने वाले कुछ वर्षों में विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा।

रामराज में कहा गया है, कि कर प्रबंधन ‘सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय ‘ के मंत्र से परिपूर्ण होना चाहिए। रामराज की व्याख्या करते हुए महाकवि गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं कि

दैहिक दैविक भौतिक तापा,राम राज नहिं काहुहि व्यापा।
सब नर करहिं परस्पर प्रीती, चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती।

रामराज में दैहिक, दैविक और भौतिक ताप किसी को नहीं व्यापते। सब मनुष्य परस्पर प्रेम करते हैं। शास्त्रोक्त नीति (मर्यादा) में रहकर अपने-अपने धर्म का पालन करते हैं।

बरसत हरसत सब लखें,करसत लखे न कोय।
तुलसी प्रजा सुभाग से, भूप भानु सो होय।

राज्य का कर संग्रह इस प्रकार हो कि जैंसे सूर्य समुद्र,तालाब,कूप आदि विभिन्न जल स्रोतों से जल अवशोषित करता है, सोख लेता है। किसी को पता भी नहीं चलता है। किंतु जब सूर्य बादल रूप में पृथ्वी पर वर्षाता है तो सभी प्रसन्न हो जाते हैं।

महानतम अर्थशास्त्री चाणक्य के अर्थशास्त्र के अनुसार
प्रजासुखे सुखं राज्ञः प्रजानां तु हिते हितम् ।
नात्मप्रियं हितं राज्ञः प्रजानां तु प्रियं हितम् ।

प्रजा के सुख में राजा का सुख निहित है, प्रजा के हित में ही उसे अपना हित दिखना चाहिए । जो स्वयं को प्रिय लगे उसमें राजा का हित नहीं है, उसका हित तो प्रजा को जो प्रिय लगे उसमें है ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन के कुशल वित्तीय सुप्रबंधन का ही सुफल है, कि इस बजट में कोई भी नया कर आरोपित नहीं किया है।यह सर्व समावेशी बजट है । भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर,निवेश को बढ़ाने के साथ-साथ सभी के लिए लोक मंगलकारी बजट है। मोदी सरकार ने देश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ किया है। 47.66 लाख करोड़ रुपये से अधिक का बजट प्रस्तुत किया है। जो पिछले दस सालों में लगभग चौगुना हो गया है। मोदी सरकार के पिछले बजट वर्ष 2023-24 से लगभग 3 लाख करोड़ रुपये अधिक है । बजट में यह चमत्कारिक वृद्धि भाजपा की मोदी सरकार के संकल्प क्रमिक,उत्तरोत्तर विकास को दर्शाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भागीरथी परिश्रम, अर्थशास्त्रीय सुधारों के कारण दस वर्ष में ही भारत की जीडीपी, सकल घरेलू उत्पाद भी लगभग तीन गुना बढ़ा है। चुनावी वर्ष होने के उपरांत पूंजीगत व्यय पिछले वर्ष से बढ़कर 1111111 करोड़ से अधिक हुआ है। अधो सरंचना विकास में सरकार पिछले वर्ष की तुलना में 11.11 प्रतिशत अधिक राशि व्यय करने जा रही है। यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.4 प्रतिशत होगा।

यह मोदी सरकार का साहस ही है, जो चुनावी वर्ष होते हुए भी इंफ्रास्ट्रक्चर पर इतनी अधिक धनराशि व्यय कर रही है। यदि अन्य कोई सरकार होती तो इस मद की राशि को कम कर अन्यत्र उपयोग करती और जनता की ‘वाहवाही’ समेटने का कार्य करती । अधिक पूंजीगत व्यय से ही भारत का वास्तविक, शाश्वत विकास संभव है। रोजगार के असंख्य अवसर उपलब्ध होते हैं।

इस अदम्य साहसिक निर्णय लेने हेतु मैं भारतीय नागरिक के रूप में यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन और उनकी टीम का अभिनंदन करता हूँ।

इस बजट में राजस्व सहित कुल प्राप्तियों का अनुमान 30.80 लाख करोड़ रुपए है। कर प्राप्तियां 26.02 लाख करोड़ रुपए है। राजकोषीय घाटा जीडीपी के सापेक्ष 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वर्ष 2023 -24 में भी समग्र राजस्व प्राप्ति उम्मीद से अधिक रहने का अनुमान है, जो 27.56 लाख करोड़ रुपए के स्थान पर 30.03 लाख करोड रुपए का अनुमान है। इस कारण से राजकोषीय घाटे का संशोधित अनुमान भी 5.8 प्रतिशत हुआ है। आशा से अधिक विकास दर प्राप्त होने से संभव हुआ है।

कर सुधार लाभ

मोदी सरकार द्वारा प्रत्यक्ष करों की दरों को यथावत रखा गया है। पिछले 10 वर्षों में प्रत्यक्ष कर संग्रह 3 गुना बढ़ा है। आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या में भी 2.4 गुना वृद्धि हुई है।

वर्ष 1962 से 2009-10 तक लंबित 25000 रुपए तक के बकाया प्रत्यक्ष कर मांग को वापस लिया जाएगा। वित्त वर्ष 2010 -11 से 2014-15 तक की 10000 रुपए तक की बकाया प्रत्यक्ष कर मांग को भी वापस लिया जाएगा। इस प्रकार एक करोड़ करदाताओं का लाभ मिलेगा। जो मध्यम वर्ग से आते हैं।

नई कर योजना के तहत अब 7 लाख तक की आय वाले करदाताओं के लिए कोई कर देनदारी नहीं है। वित्तीय वर्ष 2013-14 में 2.2 लाख तक की आय वाले करदाताओं के लिए कोई कर देनदारी नहीं थी। खुदरा व्यापार के लिए प्रीजम्प्टिव कराधान की सीमा 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ की गई। इसी प्रकार प्रीजम्प्टिव कराधान के पात्र व्यवसायियों के लिए यह सीमा 50 लाख से बढ़ाकर 75 लाख की गई, साथ ही कारपोरेट कर की दर मौजूदा स्वदेशी कंपनियों के लिए 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत और कुछ नई विनिर्माण कंपनियों के लिए यह दर 15 प्रतिशत की गई है। जीएसटी संग्रह बढ़कर दोगुना हो गया है। इस वर्ष औसत मासिक सकल जीएसटी संग्रहण बढ़कर लगभग दोगुना 1.66 लाख करोड़ रूपये हो गया है। राज्य भी लाभान्वित हुए हैं।

अनुसंधान को बढ़ावा

पचास वर्षीय ब्याज-मुक्त ऋण के माध्यम से एक लाख करोड़ रुपये का कार्पस से न्यून या शून्य ब्याज दरों पर कर्ज उपलब्ध कराए जाएंगे। इस कार्पस से निजी क्षेत्र, अधिकांशतः नए उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान अथवा नई पहल के माध्यम से युवाओं को सहायता प्राप्त होगी।

विदेशी निवेश दुगुना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के अनेक कर सुधारो के परिणाम स्वरूप विदेशी निवेश दोगुना हुआ है। 2014-23 के दौरान एफडीआई अंतर्प्रवाह 596 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा था। जो वर्ष 2005 से 2014 के समय के शासनकाल से दोगुना है। विदेशी निवेश को प्रोत्‍साहित करने के लिए विदेशी साझेदारों के साथ एफडीआई ‘ फर्स्ट डेवलप इंडिया’ की भावना से द्विपक्षीय निवेश संधियों पर मोदी सरकार संकल्पित है।

यह बजट गरीब, किसान, महिला और युवा शक्ति के कल्याण हेतु समर्पित है। अनेकों योजनाओं के सफल क्रियान्वयन से यह जनता जनार्दन के जीवन में सुखद परिवर्तन से प्रतिबिंबित हो रहा है। विकसित भारत का रोड मेप है।

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