कथारा पंचायत मे सब कुछ ठीक ठाक नही
पंचायत प्रतिनिधियों मे उफान पर आपसी मनमुटाव
बीना ग्राम सभा और बीना शिलान्यास के कार्य आरंभ
कार्य की जानकारी वार्ड सदस्यों को भी नही, वार्ड सदस्यों मे पंसस के विरुद्ध भारी आक्रोश, कार्य रोकने की चर्चा तेज
कथारा : गोमिया प्रखंड के कथारा पंचायत इन दिनों विवादो से घिरा हुआ नजर आ रहा है। किसी भी पंचायत प्रतिनिधियों मे आपसी समन्यजस नही होने के कारण हर कोई एक दुसरे की गलतियां उजागर करने मे व्यस्त हैं। बताता चलू की इन दिनों कथारा पंचायत के रेलवे काॅलोनी स्थित वार्ड संख्या 12 और 15 के बीच सोलर जल मिनार जिसकी लागत लगभग 2 ला 40 के आसपास है निर्माण कार्य चल रहा है और यह कार्य उक्त पंचायत के पंचायत समिति सदस्य निभा देवी द्वारा स्वीकृत है। मगर इस के आरंभ से ही विवाद शुरू हो गया। दरअसल मिली जानकारी के अनुसार इस कार्य का ना तो विधिवत शिलान्यास हुआ है और ना ही पंचायत मे ग्राम सभा का आयोजन किया गया। बात तब तुल पकड़ ली जब कार्य स्थल वार्ड संख्या 12 और 15 के वार्ड सदस्यों को भी इसकी जानकारी नही दी गई और पंसस द्वारा कार्य आरंभ करवा दिया गया। हमारे प्रतिनिधि सह वार्ड सदस्य के पति ने जब इस संबंध में जानकारी के लिए पंसस के पति सर्जन चौधरी को फोन किया तो उन्होने से साफ शब्दों में कहा कि ऐसा ही होगा जो करना है कर लो। इन शब्दों ने जहां एक ओर यह साबित कर दिया कि उक्त पंचायत मे प्रतिनिधि भले पत्नी हो मगर हिटलरशाही पति की चलती और दुसरी तरफ उनकी बातों से साफ प्रतित होता है कि इस पंचायत मे सब कुछ ठीक ठाक नही चल रहा है और यहां जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत चरित्रार्थ नजर आता है, जबकि सभी को पता है कि पंचायत मे किसी भी तरह के विकास कार्यों के आरंभ से पूर्व कार्य अनुसंशा के समय ही ग्राम सभा का आयोजन कर सभी की सहमति ली जाती है और विकास कार्य जिस वार्ड में भी हो वहां के वार्ड सदस्य उसके निगरानी कर्ता का मुखिया नियुक्त किया जाता है।
मगर इस पंचायत मे मानो लुट मची है मुखिया हो या पंसस उनके फंड मे विकास की राशि वे अपने इच्छा अनुसार उपयोग करते हैं ऐसे में उन लोगो के प्रति पंचायत प्रतिनिधियों के अलावे आम जनों का भी आक्रोश उबाल पर है। उपरोक्त जल मिनार कार्य को लेकर इस बात की भी चर्चा है कि स्थान उक्त निर्माण के लिए योग्य नही है। इतना ही नहीं वार्ड सदस्य और स्थानीय ग्रामीण अब इस कार्य को रोकने को लेकर विचार करने के साथ-साथ अधिकारियों को भी लिखित देने और पंसस की मनमानी और नियम कानून ताख पर रख कार्य करने कि शिकायत करने पर अड़े है। बहरहाल मामला कुछ भी हो मगर यह नियमतः गलत है कि पत्नी पंचायत प्रतिनिधि हो और हुकूमत पति महाशय की चले। फिर सरकार की यह योजना की महिलाएं आगे बढ़े और वह सशक्त हो कोई माने नही रखता।