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बंद पड़े केपटी पावर प्लांट के स्टोर में लगी भयंकर आग, स्टोर का दरवाजा तोड़ कर आग पर पाया जा सका काबु

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सीसीएल कथारा प्रक्षेत्र के कथारा रेलवे काॅलोनी के समीप एशिया का पहला रिजेक्ट कोल से बिजली बनाने की प्लांट की स्थापना सीसीएल द्वारा यह सोच कर किया गया की कंपनी को इस प्लांट से बिजली सस्ते दर पर मिलेगी। मगर विडम्बना देखिए सीसीएल कभी भी इस प्लांट को सुचारू रूप से नही चला सका और दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी को प्लांट लीज पर दे दिया। कुछ वर्षो तक उस कंपनी ने प्लांट को सुचारू रूप से चलाया मगर एकाएक उक्त कंपनी ने प्लांट छोड़ दिया और सीसीएल को सौप दिया। यही से इस प्लांट के बुरे दिन आरंभ हुए और सुरक्षा कर्मियों के तैनाती के बाद भी प्लांट से कमती कल पुर्जों पर चोरो ने हाथ साफ करना शुरू कर दिया। इस बीच सुरक्षा कर्मियों और चोरो के बीच अनेको बार मुठभेड़ भी हुई मगर हर बार चोरो के समुह द्वारा सुरक्षाकर्मियों को ही नुकसान पहुंचाया गया।

इसी बीच एकाएक उक्त प्लांट में भयंकर आग लग जाती है और देखते ही देखते आग भयंकर रूप ले लेती है। जिसके जद में आकर प्लांट में लगे अधिकांश किमती सामान जल कर तहस नहस हो जाता है। इस घटना के बाद मानो सीसीएल ने इस प्लांट को एक तरह से लावारिस छोड़ दिया और प्लांट की सुरक्षा हटा लिया गया। फिर तो मानो चोरो के लिए यह प्लांट चारागाह बन गया और प्लांट से चोरी की जगह लुट शुरू हो गई। बीच बीच में सीसीएल के सुरक्षा कर्मियों और स्थानीय पुलिस द्वारा संयुक्त कार्रवाईयों के दौरान कई बार भारी मात्रा में लोहा बरामद किया गया। इतना ही नहीं चोरो द्वारा प्लांट से लोहा काटने के लिए गैस कटर और चोरी का लोहा ढोने के लिए इस्तेमाल होने वाले ट्रेक्टरो को भी जप्त किया गया। इस मामले में कईयो की गिरफ्तारी भी हुई मगर सच यही था कि भीतर ही भीतर यह प्लांट लोहा चोरी के वजह से खंडहर मे तब्दील हो चुका था। अगर कुछ बचा था तो वो सिर्फ प्लांट के स्टोर रुम मे बंद कुछ सामान थे।

मगर इस स्टोर में भी बीते देर रात अचानक से आग लग गई। जिसे काफी मसक्कत के बाद सीसीएल प्रबंधन द्वारा स्टोर का दरवाजा तोड़ कर आग पर काबु पाया जा सका मगर तब तक स्टोर में रखे सारे सामान जल कर राख हो चुकी थी। वही इस घटना के संबंध में जितनी मुंह उतनी बात वाली कहावत है। कुछ का कहना है कि चोरो ने इस घटना को अंजाम दिया है तो कुछ का कहना है कि सीसीएल प्रबंधन अपनी लापरवाही और प्लांट के प्रति उपेक्षा को छुपाने के लिए साजिश की है, ताकि इस घटना के बाद हिसाब किताब का झंझट ही समाप्त हो जाये। बहरहाल मामला कुछ भी हो मगर यह पावर प्लांट अब पुरी तरह खोखला और खंडहर हो चुका है यादगार के तौर पर सिर्फ अब प्लांट की चिमनी शेष खड़ी है।

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