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बेरमो कोयलांचल सहित आसपास क्षेत्र में हर्षोल्लास के साथ बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांध

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रिपोर्ट : अविनाश कुमार

रक्षाबंधन के दिन बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके दीर्घायु होने की कामना करती हैं। बदले में भाई भी अपनी बहन को वचन देता है कि वो हमेशा उसकी रक्षा करेगा। इस दिन बहनें भाई को रंग-बिरंगी राखी बांधती हैं।

रक्षाबंधन हिन्दुओं का महत्वपूर्ण पर्व है, जो भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है। भारत के अलावा भी विश्व भर में जहां पर हिन्दू धर्म के लोग रहते हैं, वहां इस पर्व को उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार रक्षाबंधन का पर्व 19 अगस्त यानी आज मनाया जा रहा है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं और भाई बहनों को जीवन भर उनकी रक्षा का वचन देते हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राजसूय यज्ञ के समय द्रोपदी ने भी श्रीकृष्ण को रक्षासूत्र के रूप में अपने आंचल का टुकड़ा बांधा था जिसके बाद से बहनों द्वारा भाई को राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई। इस दिन वेदपाठी ब्राह्मण यजुर्वेद का पाठ आरंभ करते हैं। इस दिन शिक्षा का आरंभ करना अच्छा माना जाता है। रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त यानी आज रात 11 बजकर 55 मिनट तक है और आज पूरे दिन रक्षाबंधन मनाया जा सकता है।

साथ ही आज भद्रा भी लग रही है। भद्रा में भाई को राखी बांधना निषेध माना गया है। ज्योतिष शास्त्र भद्रा का साया बेहद अशुभ माना जाता है, तो पहले जानते हैं कि कौन हैं भद्रा या क्या है भद्रा का साया।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भद्रा सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन हैं। शनि की भांति इसका स्वभाव भी क्रूर है। वैसे भद्रा का शाब्दिक अर्थ कल्याण करने वाली है। इसके विपरीत भद्रा काल में शुभ कार्य वर्जित है। भद्रा राशिनुसार तीनों लोको में भ्रमण करती हैं। पृथ्वीलोक में इसके होने से शुभ कार्यों में विघ्न आते हैं।

भद्राकाल बेहद अनिष्टकारी होता है। इस काल में शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित हैं। ऐसी मान्यत कि पृथ्वी लोक की भद्रा सभी कार्यों का विनाश करने वाली होती है।

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