रायबरेली : उत्तर प्रदेश के जिले में एक विधवा किसान ने राजस्व विभाग के दो अधिकारियों पर भ्रष्टाचार व मनमाने रवैये का गंभीर आरोप लगाते हुए जिलाधिकारी कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई है। पीड़िता का दावा है कि उसके खेत में खड़ी धान की फसल को बिना किसी पूर्व नोटिस के जबरन जोत दिया गया, जिससे उसकी पूरी फसल बर्बाद हो गई। यह मामला चकबंदी कार्यों से जुड़ा होने के कारण जिले में चर्चा का विषय बन गया है। अब सभी की निगाहें जिलाधिकारी पर हैं कि इस पर क्या कार्रवाई की जाती है।
पीड़िता की आपबीती: चक रोड पर खड़ी फसल का बर्बाद होना

पीड़िता निर्मला (पत्नी स्वर्गीय लल्लू) मजरे गोपालपुर, थाना डीह की निवासी हैं। उन्होंने जिलाधिकारी को सौंपे शिकायती पत्र में बताया कि उनका खेत चक नंबर बी में स्थित है, जो चक रोड पर पड़ता है। चक रोड के दोनों छोरों पर कई किसानों की धान की फसल खड़ी हुई थी। निर्मला ने आरोप लगाया कि चकबंदी कार्यों के नाम पर हल्का लेखपाल प्रदीप सिंह ने उनके खेत को निशाना बनाया। उन्होंने कहा, “मैं विधवा हूं और आर्थिक रूप से कमजोर हूं। लेखपाल को चकबंदी के लिए निर्धारित शुल्क (पैसा) देने में असमर्थ थी, इसलिए उन्होंने बदला लेने के लिए बिना किसी लिखित या मौखिक नोटिस के मेरे खेत में खड़ी धान की फसल को ट्रैक्टर से जबरन जोत दिया।”
निर्मला ने आगे विस्तार से बताया कि यह घटना हाल ही में घटी, जब चकबंदी टीम खेतों का सर्वे कर रही थी। उनके पुत्र ने तुरंत उपजिलाधिकारी को फोन पर सूचना दी, लेकिन उपजिलाधिकारी ने केवल यही जवाब दिया कि “हल्का लेखपाल से कहकर अन्य खेतों में चकमार्ग (चक रोड) जोतवा दें।पीड़िता का कहना है कि यह कार्रवाई पूरी तरह से पक्षपाती थी, क्योंकि आसपास के अन्य किसानों के खेतों को छुआ तक नहीं गया। उन्होंने जिलाधिकारी से मांग की है कि लेखपाल व कानूनगो के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और उन्हें फसल का उचित मुआवजा दिया जाए।
लेखपाल व कानूनगो पर मिलीभगत का आरोप
शिकायत के केंद्र में हल्का लेखपाल प्रदीप सिंह और कानूनगो सुरेंद्र त्रिपाठी का नाम है। निर्मला ने आरोप लगाया कि दोनों अधिकारियों की सांठ-गांठ से ही यह घटना घटी। “लेखपाल ने पैसा न देने का बहाना बनाकर मेरी फसल बर्बाद की, जबकि कानूनगो ने इस पूरी प्रक्रिया को हरी झंडी दे दी। यह राजस्व विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार का नंगा चेहरा है,” उन्होंने कहा। पीड़िता ने दावा किया कि चकबंदी के नाम पर कई किसान इसी तरह शोषित हो रहे हैं, लेकिन अमीर किसान रिश्वत देकर बच जाते हैं।
यह मामला रायबरेली जिले में चकबंदी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर रहा है। जिले में चकबंदी कार्य पिछले कुछ वर्षों से विवादों में रहा है, जहां किसानों द्वारा अधिकारियों पर भेदभावपूर्ण रवैये के आरोप लगते रहे हैं। हाल ही में डीह क्षेत्र में एक अन्य चकबंदी लेखपाल पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, जहां एक महिला ने 9 वर्ष से एक ही स्थान पर तैनाती का हवाला देकर शिकायत की थी। हालांकि, यह मामला अलग है, लेकिन इससे विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल और तेज हो गए हैं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार
जिलाधिकारी कार्यालय में शिकायत दर्ज कराने के बाद निर्मला ने कहा, “मैं न्याय की उम्मीद में यहां आई हूं। अगर कार्रवाई नहीं हुई, तो मैं उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाऊंगी।” जिलाधिकारी कार्यालय से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, शिकायत को गंभीरता से लिया गया है और जांच के आदेश दिए जा सकते हैं। राजस्व विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि चकबंदी में नोटिस अनिवार्य है, और यदि उल्लंघन साबित हुआ तो दोषी अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई होगी।
किसानों में आक्रोश, मांग कार्रवाई की
इस घटना के बाद डीह थाना क्षेत्र के किसान आक्रोशित हैं। स्थानीय किसान संघ के एक पदाधिकारी ने कहा, “चकबंदी किसानों के हित में होनी चाहिए, न कि शोषण का माध्यम। ऐसी घटनाएं दोहराई जा रही हैं, और अब समय आ गया है कि जिलाधिकारी सख्त कदम उठाएं।” किसान संगठनों ने जिलाधिकारी से मिलने का समय मांगा है ताकि सामूहिक शिकायत दर्ज कराई जा सके।
यह मामला न केवल एक विधवा किसान की पीड़ा को उजागर करता है, बल्कि ग्रामीण भारत में राजस्व प्रक्रियाओं की कमियों को भी रेखांकित करता है। आने वाले दिनों में प्रशासन की प्रतिक्रिया तय करेगी कि क्या न्याय मिलता है या यह एक और अनसुलझा विवाद बनकर रह जाता है। विभाग से अपेक्षा है कि पारदर्शिता सुनिश्चित कर किसानों का विश्वास बहाल किया जाए।