आज अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सी०सीoएल० दरभंगा हाउस रॉँची में कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में प्रजापिता ब्रह्माकमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवा केन्द्र चौधरी बगान, हरमू रोड की केन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने अपने उद्गार में उन्होंने कहा कि आधुनिकता से नहीं अपितु् अध्यात्म से होगा महिला सशकतिकरण। महिलाओं को पाश्चात्य संस्कृति का अन्धानुकरण नहीं करना चाहिए बल्कि अपने जीवन में भौतिकता और आध्यात्मिकता का संतुलन बनाकर चलना चाहिए। स्वतंत्रता का मतलब स्वच्छंदता नहीं है। आदि काल में जब महिला अध्यात्मिक शकिति से सम्पन्न थीं तब उसकी पूजा होती थी। मनुष्य शक्ति मांगने के लिए दुर्गा या अन्य देवियों के पास जाते हैं, किसी को धन चाहिए तो लक्ष्मी के पास जाते हैं, किसी को बुद्धि चाहिए तो सरस्वती की अराधना करते हैं। किन्तु आज की नारी अध्यात्म से दूर होने के फलस्वरूप पूजनीय नहीं रही। भौतिक दृष्टि से नारी ने बहुत तरक्की की किन्तु आध्यात्मिकता से वह दूर हो गई है। वर्तमान समय संसार में समस्याओं की भरमार है इसलिए ऐसे समाज में रहने के लिए जीवन में आध्यात्मिकता का होना जरूरी है आध्यात्मिता से जीवन में सहनशीलता, नम्रता, मधुरता आदि दैवी गुण आते हैं।
ब्रह्माकुमारी इंदू ने सभा को संबोधित करते हुए कहा “यत्र नार्यस्तु पुज्यंते, रमते तत्र देवता अरथ्थात् जहां नारियों की पूजा होती वहां देवता निवास करते हैं। भारत मातृशक्ति की पूजा देवी के रूप में करता रहा है। नारी का सम्मान भारतीय सभ्यता, संस्कृति और परंपरा रही है। हमारी संस्कृति की विशालता, महानता और वेभवता को वृहद बनाने, उसे मूल्यों के धागे में पिरोकर नव पीढ़ी को संस्कारित करने में नारी की अतुलनीय भूमिका रही है। कोई भी राष्ट्र प्रगति के पथ पर तब तक आगे नहीं बढ़ सकता है, जब तक कि वहां की महिलाएं आगे नहीं बढ़ती है। 2500 वर्ष पूर्व अर्थात् द्वापर युग में नारी के शोषण के जो विभिन्न तरीके निकले, उनकी गुँज आजतक सुनाई पड़ रही है। शिक्षा से वंचित करके, पर्दानशीन बनाकर उसे अमावस्या की ओर धकेल दिया गया। पूर्णमासी का आगाज तभी होगा जब नारी को शरीर के आवरण में छिपी हीरे तुल्य चमकदार आत्मा समझकर, उसके साथ समानता का व्यवहार किया जाएगा। उसके बोद्धिकता को देखा जाएगा।

कार्यक्रम में उपस्थित जस्टिस रंजना स्थाना, झालसा सदस्य ने कहा जिस प्रकार कोई भी पक्षी एक पंख से नहीं उड़ सकता, उसी प्रकार कोई भी समाज या देश स्त्री या पुरूष दोनों में से किसी एक वर्ग के द्वारा उन्नत नहीं हो सकता है।
रेखा पाण्डेय मुख्य प्रबंधिक, सी०सीoएल० ने कहा नवसृजन के कार्य में जुटी है ब्रह्माकुमारी संस्था। नारी जब शक्ति का रूप लेती है तो ब्रह्मकुमारी जैसे संस्थान की संकल्पना साकार हो उठती है। जिसकी मुखिया से लेकर तमाम पदों पर नारियां नेतृत्व कर रही हैं। जिन्होंने समाज को स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन का महान लक्ष्य दिया है । शक्ति स्वरूपा की गाथा को साकार करते हुए 47 हजार ब्रह्माकुमारी बहनें त्याग, सेवा, समर्पण, निष्ठा और आत्म विश्वास के साथ विश्व बंधुत्व के कार्य में जुटी हैं।
कार्यक्रम में अनेक गणमान्य व्यक्तियों में कामाक्षी रमण, आई०आई०सी०एम0 की कार्यकारी निदेशक भी उपस्थित हुई। कार्यक्रम में बी०के० इंदू बहन ने गाईडेड मेडिटेशन के द्वारा राजयोग का सभी को अभ्यास कराया। सभा में उपस्थित सी०सी०एल० सी०एम०डी की धर्म पत्नी शोभा रेड्डी ने मोमेन्टो मेंट कर बी०के0 निर्मला को सम्मानित किया। कार्यक्रम में सी०सी०एल० सीoएम०डी० बी०भी० रेड्डी भी उपस्थित थे। ज्ञातव्य हो चौधरी बगान, हरमू रोड, ब्रह्माकुमारी केन्द्र में प्रतिदिन निःशुल्क ज्ञान-योग कार्यक्रम उपलब्ध है।