रायबरेली : जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में अधिकारियों की कथित लापरवाही और डायट प्राचार्य की विदाई पार्टी के चलते एआरपी के चयन की प्रक्रिया अधर में लटकी रही। फरवरी माह में एआरपी नियुक्ति के आदेश जारी होने के बावजूद चयन प्रक्रिया को गति नहीं मिल सकी। महानिदेशक के 25 मार्च के स्पष्ट निर्देशों, जिसमें 10 अप्रैल तक चयन प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया गया था, का भी जिले के बेसिक शिक्षा विभाग पर कोई असर नहीं हुआ। अधिकारियों की कथित ‘मौज’ और डायट प्राचार्य की विदाई पार्टी में व्यस्त रहने के कारण विभाग ने महानिदेशक के आदेश के 50 दिन बीत जाने के बाद अब एआरपी परीक्षा का कार्यक्रम जारी किया है। इस देरी ने शिक्षकों के बीच निराशा और व्यवस्था के प्रति नाराजगी पैदा कर दी है।
जिले के 18 ब्लॉक और एक नगर क्षेत्र में सामाजिक विषय, अंग्रेजी, हिंदी, विज्ञान और गणित जैसे पांच महत्वपूर्ण विषयों के लिए एआरपी का चयन होना है। कुल मिलाकर 19 ब्लॉकों से 95 शिक्षकों को एआरपी के रूप में नियुक्त किया जाना है। एआरपी बनने वाले शिक्षकों को महीने में 30 स्कूलों का दौरा करना होता है, जिसके लिए उन्हें ढाई हजार रुपये का यात्रा भत्ता मानदेय के रूप में मिलता है। इस पद पर आने के बाद शिक्षकों को अपने विद्यालय में नियमित रूप से उपस्थित होने की बाध्यता से कुछ हद तक मुक्ति मिल जाती है। एआरपी का कार्यकाल सामान्यतः तीन वर्ष का होता है, लेकिन पिछली बार चयनित एआरपी ने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया था। पिछली बार एआरपी बने शिक्षकों द्वारा दोबारा आवेदन करने पर बेसिक शिक्षा विभाग ने रोक लगा दी थी। नियमतः, एक बार एआरपी बन चुके शिक्षक दोबारा इस पद के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं। इसके बावजूद, कुछ शिक्षकों ने हाईकोर्ट की सिंगल और डबल बेंच में याचिकाएं दायर कर दोबारा अवसर प्राप्त करने का प्रयास किया, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट रूप से उनके दावे को खारिज कर दिया। फरवरी में शुरू हुई इस चयन प्रक्रिया को अब प्रभारी डायट प्राचार्य और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी दोनों पदों को सुशोभित कर रहे शिवेंद्र प्रताप सिंह ने अब आगे बढ़ाया है। उन्होंने एआरपी परीक्षा का कार्यक्रम जारी कर दिया है। आधिकारिक सूचना के अनुसार, एआरपी की लिखित परीक्षा 19 मई, दिन शनिवार को प्रातः 11 बजे से 1 बजे तक राजकीय इंटर कॉलेज रायबरेली में आयोजित की जाएगी। परीक्षा में शामिल होने वाले शिक्षकों को अपना आधार कार्ड या पैन कार्ड साथ लाना अनिवार्य है। एआरपी परीक्षा के सुचारू संचालन के लिए बीईओ मुख्यालय और बीईओ राही को परीक्षा का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। इन अधिकारियों पर परीक्षा की व्यवस्था और पारदर्शिता बनाए रखने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होगी।
गौरतलब है कि पांच वर्ष से एआरपी के पद पर जमे कुछ शिक्षक अपने पदों पर बने रहने के लिए हाईकोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे। उनका प्रयास था कि किसी तरह उन्हें दोबारा एआरपी का फॉर्म भरने का मौका मिल जाए, लेकिन कोर्ट ने उनके पक्ष में कोई निर्णय नहीं दिया। इस बार एआरपी के लिए आवेदन करने में शिक्षकों ने अपेक्षाकृत कम रुचि दिखाई है। प्राप्त आवेदनों के अनुसार, गणित में केवल 51, सामाजिक विषय में 48, अंग्रेजी में 21, हिंदी में 17 और विज्ञान में 33 शिक्षकों ने ही आवेदन किया है। आवेदनों की यह संख्या दर्शाती है कि शिक्षकों में इस पद के प्रति पहले जैसा उत्साह नहीं है। पांच वर्ष पूर्व जब एआरपी के पदों के लिए आवेदन मांगे गए थे, तब उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने शिक्षकों को एआरपी के फॉर्म भरने से स्पष्ट रूप से मना कर दिया था। इन पांच वर्षों में एआरपी ब्लॉक स्तर पर लोकप्रियता हासिल कर रहे थे, जिससे संघ के पदाधिकारियों पर दबाव बढ़ रहा था। इस बार शिक्षक संघ ने अपनी रणनीति बदलते हुए शिक्षकों को एआरपी फॉर्म भरने की अनुमति प्रदान की थी, लेकिन इसका भी कोई खास असर नहीं दिखा। कम संख्या में आवेदन आने से यह स्पष्ट है कि कई ब्लॉकों में एआरपी के पद रिक्त रह जाएंगे। विभाग को इन रिक्त पदों को भरने के लिए शीघ्र ही पुनः विज्ञापन जारी करना पड़ सकता है। यह घटनाक्रम बेसिक शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है और समयबद्ध तरीके से चयन प्रक्रिया पूरी न कर पाने की कमजोरी को उजागर करता है।