बहादुरी, बलिदान और विरासत को श्रद्धांजलि
रिपोर्ट : शाह हिलाल
कारगिल : एक भावुक और गरिमामयी समारोह में भारतीय सेना ने नव-निर्मित कारगिल बायपास पुल को औपचारिक रूप से ‘कैप्टन अनुज नैयर, महावीर चक्र सेतु’ नाम दिया। यह नाम 1999 की कारगिल युद्ध में 17 जाट बटालियन के वीर जवानों और कैप्टन अनुज नैयर की सर्वोच्च शहादत को अमर श्रद्धांजलि स्वरूप समर्पित किया गया है।
कैप्टन अनुज नैयर ने ऑपरेशन विजय के दौरान मुष्कोह घाटी में स्थित प्वाइंट 4875 की पश्चिमी ढलानों पर पिंपल कॉम्प्लेक्स को दुश्मन से मुक्त कराते हुए वीरगति प्राप्त की थी। उनके अद्वितीय साहस और नेतृत्व के लिए उन्हें मरणोपरांत भारत के दूसरे सर्वोच्च युद्धकालीन सम्मान महावीर चक्र से नवाज़ा गया।
इस विशेष समारोह में शहीद की माता श्रीमती मीना नैयर और उनके छोटे पुत्र श्री करण नैयर ने भाग लिया। उनके साथ वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, गणमान्य अतिथि एवं 17 जाट बटालियन के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। मौके पर एक स्मृति पट्टिका का अनावरण किया गया। अपने भावुक संबोधन में श्रीमती नैयर ने कहा, “हमारे लिए यह अत्यंत गर्व की बात है कि कैप्टन अनुज का नाम अब उस धरती पर सदा के लिए अंकित हो गया है, जिसकी रक्षा करते हुए उन्होंने अपने प्राण न्योछावर किए।”
यह पुल रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग 1-डी पर स्थित है, जो कारगिल नगर को बायपास करेगा। इसके निर्माण से न केवल यातायात में सुधार होगा, बल्कि इस सीमावर्ती क्षेत्र की संपर्क व्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
कैप्टन अनुज नैयर, महावीर चक्र सेतु केवल एक इंजीनियरिंग संरचना नहीं, बल्कि देशभक्ति, दृढ़ता और बलिदान का प्रतीक है। इसे इसी वर्ष के अंत तक आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा।
इस प्रेरणादायक पहल के माध्यम से भारतीय सेना ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि वह अपने वीर शहीदों की स्मृति को सम्मानित करने और उनके पराक्रम को जीवित रखने के लिए सदैव प्रतिबद्ध है।