आगरा : ताज नगरी आगरा में छत्रपति शिवाजी महाराज की अमर गाथा को जीवंत करने वाला ‘जाणता राजा’ महानाट्य का शानदार उद्घाटन समारोह आयोजित हुआ। दिव्य प्रेम सेवा मिशन के तत्वावधान में हुए इस ऐतिहासिक आयोजन में पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद मुख्य अतिथि के रूप में विराजमान रहे। उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने शिवाजी महाराज की कैद स्थली पर 200 करोड़ रुपये की लागत से डिजिटल म्यूजियम की घोषणा की, जबकि मिशन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. आशीष गौतम ने आग्रा को शिवाजी की भूमि बताते हुए मुगलों से अलग पहचान पर जोर दिया। ‘जय जय भवानी’ और ‘जय शिवाजी’ के उद्घोषों से वातावरण गुंजायमान रहा।समारोह में स्वामी उमाकांतानंद सरस्वती महाराज, प्रो. डीपी सिंह, महेश चतुर्वेदी, राकेश गर्ग, संजय चतुर्वेदी सहित आगरा व आसपास के 20 जिलों से राष्ट्रभक्त, सनातन प्रेमी, छात्र-छात्राएं और भाजपा पदाधिकारी उपस्थित हुए।
लखनऊ में सफल आयोजन के बाद आगरा में इसका मंचन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुरोध पर हुआ।

200 करोड़ का म्यूजियम मार्च तक तैयार: जयवीर सिंह
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने घोषणा की कि शिवाजी महाराज की कैद स्थली पर 197.27 करोड़ की लागत से अत्याधुनिक डिजिटल म्यूजियम मार्च 2026 तक बनकर तैयार होगा। आगरा कलेक्टर के खाते में 9.46 करोड़ की टोकन मनी भेजी जा चुकी है। योगी सरकार के 8.5 वर्षों के प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि आगरा के लिए 55 योजनाओं पर 512 करोड़ खर्च हो चुके हैं, जिनमें बटेश्वर के 101 शिव मंदिरों का 191 करोड़ से विकास और कैलाश मंदिर के लिए 20 करोड़ शामिल हैं। श्री सिंह ने गर्व से कहा कि 2022 से उत्तर प्रदेश पर्यटकों की संख्या में देश में नंबर वन है। महानाट्य को देखकर संस्कृति व प्रशासन में विश्वास मजबूत होगा, जो विकसित भारत का सपना साकार करेगा। पूर्व राष्ट्रपति को अभिनंदन देते हुए उन्होंने ‘भारत माता की जय, जय श्रीराम, हर हर महादेव’ का उद्घोष किया।’
जाणता राजा’ से लें नीति-निष्ठा की प्रेरणा: राम नाथ कोविंद
पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने ‘जाणता राजा’ को “जनता का मन जानने वाला शासक” बताते हुए कहा कि उन्होंने इसे तीन बार देखा—दिल्ली में प्रमोद महाजन के प्रयास से, औरंगाबाद में, तथा अब आगरा में। रायगढ़ किले का जिक्र करते हुए बोले, “यह चंडीगढ़ जैसी योजनाबद्ध नगरी का प्राचीन उदाहरण है।” शिवाजी के शौर्य, विनम्रता व मर्यादा को श्रीराम से जोड़ा।”विकसित भारत 2047″ के संदर्भ में कहा कि विकास केवल जीडीपी नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, समान अवसर, पारदर्शी शासन व सामाजिक समरसता है। मिशन की स्थापना (1997, हरिद्वार में कुष्ठ सेवा से) की सराहना की और अपील की कि शिवाजी के आदर्शों से सेवा-भाव अपनाएं, आत्मनिर्भर भारत बनाएं। “जय हिंद” के साथ समापन किया।