Lawyer Create Scene In SC: दिल्ली स्थित सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब एक वकील ने चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की अदालत में अचानक हंगामा खड़ा कर दिया। यह नज़ारा भारत की सर्वोच्च अदालत के इतिहास में शायद ही कभी देखा गया होगा। वकील ने न्यायपीठ के सामने जूता निकालने की कोशिश की और बाहर जाते वक्त ज़ोर-ज़ोर से नारे लगाए “सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।” अदालत में मौजूद लोग कुछ पल के लिए स्तब्ध रह गए वहीं, चीफ जस्टिस ने शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएँ उन्हें प्रभावित नहीं करतीं। क्या है पूरी खबर जानिए विस्तार से।
सुप्रीम कोर्ट में मचा हड़कंप/Lawyer Create Scene In SC
सुबह करीब 11 बजे की बात है, सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही सामान्य रूप से चल रही थी। तभी एक वकील अचानक उठकर चीफ जस्टिस की ओर बढ़ा और जोर-जोर से बोलने लगा। उसने कुछ सेकंड में ही कोर्ट की गरिमा को झकझोर दिया। सुरक्षाकर्मियों के रोकने से पहले ही उसने जूता निकालने की कोशिश की और नारेबाजी करते हुए कहा “सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।” इस दौरान पूरा कोर्टरूम सन्न रह गया। तुरंत सुरक्षाकर्मी हरकत में आए और उस व्यक्ति को बाहर ले जाया गया। बताया जा रहा है कि यह वकील हाल ही में सीजेआई द्वारा दिए गए एक कथन से नाराज था, जो भगवान विष्णु की मूर्ति से जुड़ी याचिका के दौरान दिया गया था। घटना के बाद कोर्ट में कुछ देर के लिए हलचल रही, लेकिन जल्द ही कार्यवाही फिर शुरू कर दी गई।

सीजेआई की टिप्पणी पर हुआ विवाद
दरअसल, कुछ दिन पहले सीजेआई बी.आर. गवई ने खजुराहो में भगवान विष्णु की सात फीट ऊंची मूर्ति की पुनर्स्थापना से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी। उन्होंने याचिकाकर्ता से कहा था “अगर आप भगवान विष्णु के भक्त हैं तो जाइए और उनसे प्रार्थना कीजिए।” इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया था। कुछ लोगों ने इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया, जबकि कई ने कहा कि इसे गलत संदर्भ में पेश किया गया। इसी टिप्पणी को लेकर कई धार्मिक संगठनों और सोशल मीडिया यूजर्स ने विरोध जताया था। कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में हंगामा करने वाला वकील भी इस टिप्पणी से नाराज था और उसने इसी के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया।
CJI ने दी सफाई, कहा “मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं”
विवाद बढ़ने के बाद मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने खुद अदालत में इस पूरे प्रकरण पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि उनका किसी धर्म या आस्था का अपमान करने का कोई इरादा नहीं था। उन्होंने साफ कहा, “मैं सभी धर्मों और आस्थाओं का सम्मान करता हूं। सोशल मीडिया पर फैली बातें भ्रामक हैं।” सीजेआई ने यह भी बताया कि अदालत में कही गई उनकी बात को गलत अर्थ में प्रस्तुत किया गया, जबकि उनका मकसद केवल विधिक प्रक्रिया की ओर संकेत करना था। उन्होंने शांति और आपसी सम्मान बनाए रखने की अपील भी की। अदालत के अन्य न्यायाधीशों और वकीलों ने भी इस दौरान उनका समर्थन किया और कहा कि न्यायालय की गरिमा सर्वोपरि है, उसे किसी भी प्रकार के विवाद से ऊपर रखना आवश्यक है।
सोशल मीडिया और समाज में बढ़ी प्रतिक्रिया

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है। कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्था में इस तरह के आचरण को न्यायिक गरिमा के खिलाफ बताया। वहीं, कुछ लोगों ने इसे जनता की नाराजगी का प्रतीक बताया। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी सीजेआई का समर्थन करते हुए कहा, “आजकल सोशल मीडिया पर हर छोटी बात पर असमानुपातिक प्रतिक्रिया दी जाती है।” उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी को गलत संदर्भ में प्रस्तुत किया गया। अब यह मामला न केवल अदालत के अनुशासन पर सवाल खड़ा कर रहा है, बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर करता है कि सोशल मीडिया की अति-प्रतिक्रियाओं का असर समाज और न्याय व्यवस्था पर कितना गहरा पड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने घटना की जांच की बात कही है।
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