रायबरेली नगर पालिका परिषद के मंडी समिति के सामने स्थित रेलवे ओवर ब्रिज, जो शहर को जोड़ने का प्रमुख माध्यम है, लंबे समय से बंद पड़ा है। इसकी मरम्मत में देरी के कारण अब आम जनता और स्थानीय व्यापारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इसी कड़ी में स्थानीय समाजसेवी रामू दादा ने बंद पड़े इस ओवर ब्रिज को लेकर होर्डिंग्स लगवाए हैं, जिन पर लिखा है, मंडी समिति ब्रिज कब बनेगा,जनता को कितना परेशान करोगे? यह होर्डिंग्स जनता की नाराजगी और प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर रही हैं।
भ्रष्टाचार की जीती-जागती मिसाल बना ओवर ब्रिज

मायावती सरकार के दौरान वर्ष 2011 में निर्मित यह रेलवे ओवर ब्रिज शुरू से ही भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरा रहा है। जानकारी के अनुसार, लगभग दो साल पहले इसकी मरम्मत पर लाखों रुपये खर्च किए गए थे, लेकिन हाल ही में एक बार फिर ब्रिज की सड़क धंस गई और इसमें बड़ा छेद हो गया। इसके बाद करीब दो महीने पहले इसे मरम्मत के लिए बंद कर दिया गया। तब से मरम्मत कार्य शुरू नहीं हो सका है, जिसके चलते करीब 30 हजार लोग रोजाना तीन किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाने को मजबूर हैं।
दो विभागों के बीच फंसी मरम्मत
ब्रिज की मरम्मत में देरी का कारण लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और सेतु निगम के बीच जिम्मेदारी का विवाद बताया जा रहा है। पीडब्ल्यूडी का कहना है कि मरम्मत की जिम्मेदारी सेतु निगम की है, जबकि सेतु निगम का दावा है कि 2023 में यह ब्रिज पीडब्ल्यूडी को सौंप दिया गया था। इस आपसी खींचतान का खामियाजा आम जनता और स्थानीय व्यापारी भुगत रहे हैं।
बंद ब्रिज के कारण गल्ला मंडी के व्यापारियों को भारी नुकसान हो रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि अंडरपास में बिजली और सुरक्षा की कमी के कारण रात में आवागमन और भी मुश्किल हो जाता है। प्रशासन ने सेतु निगम के जीएम की जांच का भरोसा दिया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है










