Kartik Purnima : रायबरेली जिले में कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर गंगा स्नान के लिए लाखों श्रद्धालुओं का जमावड़ा होने वाला है, लेकिन डलमऊ नगर पंचायत के मुख्य घाट को जाने वाली सड़क की हालत देखकर चिंता की लकीरें खींची जा रही हैं। कार्तिक पूर्णिमा को लेकर संजीदा नहीं दिखे अधिकारी और जिम्मेदार अब यह मार्ग गड्ढों, उखड़ी गिट्टियों और धूल के गुबार में तब्दील है। जिला प्रशासन की ओर से मेले की तैयारियों का दावा तो किया जा रहा है, लेकिन सड़क की इस बदतर स्थिति ने प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर दिया है। क्या लाखों भक्तों के आने-जाने के बीच किसी अप्रिय घटना का इंतजार किया जा रहा है?
डलमऊ घाट, जो गंगा के तट पर स्थित है, कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली के रूप में मनाया जाने वाला प्रमुख स्नान स्थल है। हर साल यहां देशभर से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं, जो पवित्र डुबकी लगाने और दीपोत्सव में शरीक होने के लिए उत्साहित होते हैं। लेकिन इस बार, मुख्य मार्ग की दुर्दशा ने उत्साह को चिंता में बदल दिया है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, सड़क का डामरीकरण कार्य पूर्णिमा से ठीक पहले, यानी 2 नवंबर को शुरू किया गया था, लेकिन जल्दबाजी में किया गया यह काम अब विफल साबित हो रहा है। सड़क पर बिछाई गई गिट्टियां उखड़ रही हैं, जिससे वाहन चालकों को असुविधा हो रही है। बारिश के बाद धूल का गुबार इतना घना हो जाता है कि विजिबिलिटी कम हो जाती है, जिससे दुर्घटना का खतरा बढ़ गया है।

स्थानीय निवासी राम नरेश, जो डलमऊ घाट के पास रहते हैं, बताया,हमने कई बार नगर पंचायत और जिला प्रशासन से शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। सड़क का हाल देखिए, ऊपर से डामर चढ़ाया गया, लेकिन नीचे की परत ही कमजोर थी। अब गिट्टियां इधर-उधर बिखरी पड़ी हैं। पूर्णिमा पर इतने सारे लोग आएंगे, अगर कोई हादसा हुआ तो जिम्मेदारी किसकी? राम नरेश जैसे कई ग्रामीणों ने सड़क की खराब हालत की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए हैं, जो तेजी से वायरल हो रहे हैं।
जिला प्रशासन की ओर से मेले की तैयारियों का व्यापक निरीक्षण दावा किया जा रहा है। जिलाधिकारी के निर्देश पर विभिन्न टीमों ने घाटों की सफाई, बिजली व्यवस्था, सुरक्षा और यातायात प्रबंधन का जायजा लिया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मेले के लिए 2 हजार से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं, साथ ही मेडिकल यूनिट और एम्बुलेंस की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है। लेकिन सड़क की स्थिति पर अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। जब इस संवाददाता ने डीएम कार्यालय से संपर्क किया, तो वहां से कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला।
यह पहली बार नहीं है जब डलमऊ घाट मार्ग की सड़क ने सुर्खियां बटोरी हैं। पिछले वर्ष भी कार्तिक पूर्णिमा से पहले सड़क की मरम्मत अधर में लटक गई थी, जिसके कारण कई छोटे-मोटे हादसे हुए थे। स्थानीय विधायक ने भी इस मुद्दे को सदन में उठाया था, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हुई। विशेषज्ञों का मानना है कि सड़क निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी और मौसमी चुनौतियों को नजरअंदाज करना ही इस समस्या का मूल कारण है। सवाल यह उठता है कि जब पूरा प्रशासन मेले की चकाचौंध में लगा हुआ है, तो बुनियादी सुविधाओं जैसे सड़कों की अनदेखी क्यों? क्या लाखों श्रद्धालुओं की आस्था और सुरक्षा से खिलवाड़ किया जा रहा है?










