Shardiya Navratri 2025 : शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन माता कात्यायनी और माँ कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व है। माता कात्यायनी, जो शक्ति और वीरता की प्रतीक हैं, को एक योद्धा देवी के रूप में पूजा जाता है, जिन्होंने कई असुरों का संहार किया। वहीं, माँ कालरात्रि, जो माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति हैं, काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, चामुंडा, चंडी जैसे विनाशकारी रूपों में जानी जाती हैं। इनके अन्य नाम रौद्री और धूम्रवर्णा भी हैं। इस दिन साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित रहता है, जिससे ब्रह्मांड की सिद्धियों के द्वार खुलते हैं।
शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन माता कात्यायनी देवी की पूजा की गई । शक्ति और वीरता का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्हें एक योद्धा देवी के रूप में दर्शाया गया है जिन्होंने कई असुरों का संहार किया । माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। दुर्गा पूजा के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना का विधान है। इस दिन साधक का मन ‘सहस्रार’ चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। देवी कालरात्रि को व्यापक रूप से माता देवी – काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मृत्यू-रुद्राणी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है। रौद्री, धूम्रवर्णा कालरात्रि मां के अन्य कम प्रसिद्ध नामों में हैं ।

गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ जी ने पूजन आरती किया। डॉक्टर अरविंद कुमार चतुर्वेदी, आचार्य अश्वनी त्रिपाठी ने पूजा आरती कराया।
इस अवसर पर डॉ दिग्विजय शुक्ला, आचार्य पुरुषोत्तम चौबे, ओमप्रकाश त्रिपाठी, शशि कुमार, शशांक शास्त्री, विनय गौतम, नित्यानंद तिवारी इत्यादि लोग उपस्थित रहे।