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राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख शिल्पकार थे श्रीश चंद्र दीक्षित : ओम प्रकाश मिश्रा(बच्चा दादा)

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लालगंज(रायबरेली) : आज लालगंज कस्बे स्थित एक होटल में राम मंदिर आंदोलन के अगुआ रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी व बनारस से भाजपा सांसद रहे श्रीश चंद्र दीक्षित की पुण्यतिथि पर उन्हें याद कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर उनके कृतित्व और व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके सामाजिक व राजनैतिक योगदान की चर्चा की गई। श्रीश चंद्र दीक्षित के साथ आखिरी दो दशकों में उनके बेहद करीबी रहे एन यू जे उत्तर प्रदेश रायबरेली के अध्यक्ष ओम प्रकाश मिश्रा(बच्चा दादा) ने बताया कि पुलिस महानिदेशक व राजनीति से रिटायरमेंट होने के बाद उन्होंने रायबरेली के प्रभु टाउन में ही अपना ठिकाना बना लिया था। आज भाजपा की राजनीति के पुरोधा बन बैठे शीर्षस्थ नेता और भाजपा उस शख्सियत को भुला बैठे हैं, जो भाजपा की राजनीति को संजीवनी देने व सत्ता तक पहुंचने का रास्ता देने वाले राम मंदिर आंदोलन का प्रमुख शिल्पकार था। यूपी के रिटायर्ड डीजीपी श्रीश चंद्र दीक्षित ने राम मंदिर आंदोलन में कारसेवकों के लिए नायक की भूमिका अदा की थी। श्री दीक्षित तेज तर्रार आइपीएस अधिकारी थे वह बेहद ईमानदार, अनुशासन प्रियता, स्वाभिमानी स्वभाव और कर्तव्यनिष्ठा के लिए जाने जाते थे। श्री दीक्षित इंदिरा गांधी के सिक्योरिटी इंचार्ज भी थे।

युवा विकास समिति के अध्यक्ष सिद्धार्थ त्रिवेदी ने कहा कि
रायबरेली के सरेनी ब्लाक के सतवा खेड़ा गांव में 30 दिसम्बर 1926 को जन्मे श्रीश चंद्र दीक्षित 1982 से लेकर 1984 तक वे उत्तर प्रदेश के डीजीपी रहे। रिटायर होने के बाद विश्व हिंदू परिषद से जुड़ गए और केंद्रीय उपाध्यक्ष बन गए। इंदिरा गांधी ने उनको राज्यपाल बनाने की पेशकश की थी, मगर उन्होंने इसे ठुकरा दिया और विहिप ज्वाइन कर लोगों को विहिप से जोड़ने का कार्य शुरू कर दिया था। श्रीश चंद्र दीक्षित ने राम मंदिर आंदोलन की अगुवाई कर आंदोलन के सारथी बनकर देश की राजनीति की दिशा ही मोड़ दी थी, जिससे भाजपा को दिल्ली की केंद्रीय सत्ता तक पहुंचने का रास्ता मिला।

प्रधानमंत्री बनने के बाद अटल बिहारी बाजपेई ने उन्हें एक बार फिर बड़ी जिम्मेदारी देने के लिए बुलाया था और वो गए भी थे पर मिलने से पहले चेकिंग करवाने से उन्होंने मना कर दिया और वापस लौट आए। पुलिस प्रशासन से नजरें बचाकर कारसेवकों को अयोध्या पहुंचाना हो या फिर कानून को धता बताकर कारसेवा करवाना। इन कामों में श्रीश चंद्र दीक्षित का ही तेज दिमाग चलता था।

1990 में कारसेवा के लिए साधु-संत अयोध्या कूच कर रहे थे। प्रशासन ने अयोध्या में कर्फ्यू लगा रखा था। पुलिस ने विवादित स्थल के 15 किलोमीटर के दायरे में बैरिकेडिंग कर रखी थी। 30 अक्टबूर, 1990 को कारसेवकों की भीड़ बेकाबू हो गई। इसके बाद पुलिस ने कारसेवकों पर गोली चला दी तो कारसेवकों के ढाल बनकर श्रीश चंद्र दीक्षित सामने आए थे। पूर्व डीजीपी को सामने देख पुलिस वालों ने गोली चलाना बंद कर दिया। इस तरह से उन्होंने कारसेवकों की जान बचाने में अहम भूमिका अदा की थी। इसी के एक साल बाद 1991 के लोकसभा चुनाव में श्रीश चंद्र दीक्षित काशी से सांसद बने थे। श्रद्धांजलि कार्यक्रम में एन यू जे उत्तर प्रदेश रायबरेली के जिलाध्यक्ष, युवा विकास समिति के अध्यक्ष सिद्धार्थ त्रिवेदी, जितेन्द्र बाजपेई, योगेन्द्र त्रिवेदी, रामेन्द्र सिंह, हरिकेश अग्रहरि, प्रमोद कुमार तिवारी, टी के शुक्ला, शिव महेश बाजपेई, लाला अवस्थी, श्रीकांत त्रिवेदी, शिवम मिश्रा, अतुल कुमार, अनुज शुक्ला, दीपक मिश्रा सभासद,शिवम पाण्डेय, आलोक तिवारी बबलू सभासद, सत्यम मिश्रा, राघवेन्द्र सिंह, आदित्य मिश्रा, पारुल शुक्ला, संतोष मिश्रा आदि लोग मौजूद थे।

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