इन्दौर : मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर मै पुलिस नशा, जुआं सट्टा अपराधों पर नियंत्रण करने का प्रयास कर रही है, लेकिन इन सबके बावजूद भी यह सभी अवैध कारोबार बढ़ते हुए दिखाई देते हैं। जिसका एक उदाहरण इन्दौर शहर के आजाद नगर मै आप देख सकते हैं। जहां नशेड़ी रोड़ों पर डम डम डिगा डिगा करते दिख जायेंगे।
खुले आम इंदौर कमिश्नर के आदेशो की धज्जया उङाई जा रही है
दुसरी तरफ युवा मोबाईल मै कसीनो सट्टा खेलते लम्बी लाईन क़तार बन दिखाई देते हैं। यह सब होता देख आजाद नगर पुलिस चुप्पी साधे हुए रहती है। इसका कारण क्या हो सकता है या तो वह असफल है या फिर हाथ तर-बतर है। पुलिस एक अवैध हथियार को पकड़ कर बेचने वाले से लेकर बनाने वाले तक पहुंच सकती है, तो फिर नशा करने वाले से बेचने वाले तक और कसीनो सट्टा खेलने वाले से खिलवाने वाले तक क्यों नहीं पहुंच सकती है। आखिरकार इन अवैध कारोबारियों को पकड़ने मै ढिलाई क्यों बरती जाती है। हमने पिछले अंकों मै आजाद नगर थाना क्षेत्र के ड्रग्स तस्कर और कसीनो सट्टे को चलाने और उनको सारक्षणं देने वालों के खिलाफ साक्ष्यों सहित खबरें प्रकाशित कि थी। लेकिन पुलिस की कार्रवाई नहीं होने के कारण अवैध कारोबारियों द्वारा हमें धमकी दी गई। जिसको लेकर हमने थाना आजाद नगर और वरिष्ठ अधिकारीयों को हमारे द्वारा आवेदन देकर सुचित भी किया गया था। लेकिन पुलिस की ढिलाई से कार्य होने के कारण अब तक कोई भी कार्रवाई उन पर नहीं हुई। जिसका नतिजन यह रहा कि अवैध कारोबारियों चोरहो पर चिल्ला चिल्ला कर कहते हैं कि हम तो माह की एक तारीख पर जाते हैं और शुभ-लाभ करके आ जातें हैं। कोई कितना भी अखबारों मै न्युजो मै दिखाएं हमारा कुछ भी नहीं हो सकता है। आज अवैध कारोबारियों की सम्पत्ति और बैंक बैलेंस देख आप खुद चोकं जायेंगे। इतनी इनकम तो सरकारी कर्मचारी और एक बैंक मैनेजर की भी नहीं हो सकती रिटायर्ड होने तक भी जमा नहीं कर सकते हैं। जितनी आजाद नगर के अवैध कारोबारियों की है जो कि मात्र कुछ सालों मै ही करोड़ों के मालिक बन बैठे हैं, जो पूर्व मै आटो रिक्शा,टेम्पो, मेकेनिक, दवाईयां समान्य साधारण काम कांजो को करने वाले आज कहीं जमीनों, मकानों और नगदी कर अपनी काली कमाई के मालिक बन बैठे हैं। इन पर पुलिस शिकंजा कसती नहीं और इनके हौसलें बूलंद होते जाते हैं। इनको देख दुसरे भी मैदान मै ऊतर जाते हैं अभी हाल ही के विगत दिनों पहले एक व्यक्ति ने आवेदन दिया था कि उसे कसीनो मै जिताने की लालच देकर इस लत से लगा दिया था। आज वह लाखों रुपए इसमें हार चुका है उस पर कर्ज भी हो चुका है। उसने नामजद आवेदन दिया लेकिन पुलिस ने छोटी मोटी कार्रवाई कर काम चलता किया। इसका कारण यह भी हो सकता है की पुलिस को कसीनो सट्टा के मामले मै कारवाई करनी आ ही नहीं रही हो जैसे कि 2012 मै पुरे मप्र मै एक साथ कसीनो चलाने वालों पर कार्रवाई हुई थी। जिसमें सायबर एक्ट के तहत कैस दर्ज किया गया था। जिसमें 6 महीने तक चालान पेश नहीं किए गए थे तब संपूर्ण भारत मै इस कसीनो सट्टा को बैंड किया गया था। दुनिया के कही देशों मै यह बैंड है इसको खेलते, खिलाते पकड़े जाने पर कड़ी सज़ा मिलती है। ऐसा ही नशे के विरुद्ध भी है लेकिन आजाद नगर क्षेत्र मै यह दोनों अवैध कारोबार अपनी चरम सीमा पर है और इनको करने वाले खुब फल-फूल रहे हैं दिन-प्रतिदिन करोड़पति बन रहें हैं।