रिपोर्ट : बंस बहादुर सिंह
रायबरेली : जी हां रायबरेली में आज से तीन रोज पूर्व एक वृद्ध महिला जिला अधिकारी कार्यालय में पहुंचकर अपनी गुहार लगाती है कि उसके मकान मालिक ने दशकों से मकान में रहने के बाद उसका सारा सामान सड़क पर फेंक कर घर से निकाल दिया। महिला के साथ हाथा पाई भी की गई थी । जिसको देखकर जिलाधिकारी हर्षिता माथुर का भी दिल पसंद गया और उन्होंने सात हजार रुपए की चेक देते हुए इलाज करवाने और मकान मालिक को किराया देने के लिए साथ ही साथ आश्वासन दिया की तत्काल इस प्रकर्रवाई होगी। पीड़िता का कहना है कि डीएम ने कहा कि वह फोन कर देगे कोतवाली पुलिस को। आपका काम हो जायेगा। लेकिन आज 3 दिन बीत जाने के बाद भी ना तो पीड़ित महिला ही अपने घर जा सकी ना ही उसका सामान घर के भीतर रखा गया, तो क्या यह समझा जाए की भले ही ऊपर के अधिकारी भाजपा सरकार की नीतियों का पालन करने के लिए नीचे के अधिकारियों कोआदेश दे रहे हो। लेकिन इन अधिकारियों की क्षवि धूमिल करने के लिए अधीनस्थ कर्मचारी ऊपर के इस तरह का यह आदेश ऊपर से ही निकल देते है। क्योंकि जमीन पर किसी के पास इतना समय नहीं होता है कि वह अपने उच्च अधिकारियों के आदेशों को देख भी सके। मजेदार बात यह है कि यह मामला भी कोई दूर का नहीं है बल्कि शहर कोतवाली से चंद कदम की दूरी पर घंटाघर चौराहे का है। जहां पर मनीष जायसवाल नमक युवक पर आरोप लगा है, तो उसने अपने लोगो के साथ मिलकर किरायेदार महिला का सामान घर से बाहर फेंक दिया। इस भीषण गर्मी में एक वृद्ध महिला रायबरेली जिला अधिकारी के साथ-साथ समस्त पुलिस कर्मचारियों अधिकारियों के पास अपनी आंसुओं की फरियाद लग चुकी है। लेकिन उसकी सुनने के लिए कोई तैयार नहीं है। क्योंकि शायद उम्र का तकाजा होगा या फिर पैसे की तंगी होगी। क्योंकि उसके पास उम्र के हिसाब से इतनी ताकत नहीं है कि वह इन अधिकारियों के दिन रात चक्कर काट सके और ना ही उसके पास इतना पैसा है कि वह पुलिस कर्मचारियों को खुश करके अपना काम करवा सके और वह भी तब जब खुद जिलाधिकारी में आश्वासन किया है कि तत्काल कार्रवाई होगी परंतु तीन दिन बाद कार्रवाई किस पर हो रही है। यह बताने के लिए महिला का इतना ही कहना काफी है कि अभी तक किसी ने भी उसके सामान को अंदर रखवाने के लिए पहल नहीं की है।