रांची : राज्य के सभी 33000 गांवों में धान की खेती होती है और सरकार द्वारा किसानों से धान खरीद के लिए मात्र 697 केंद्र खोला जा रहा है। इस वर्ष राज्य में धान की बम्पर पैदावार हुई है, अनुमानन 60 लाख टन धान का उत्पादन होगा। झारखंड एग्रो चैंबर के अध्यक्ष आनंद कोठारी जानकारी दी कि झारखण्ड सरकार द्वारा मात्र 6 लाख टन खरीदने की घोषणा की गई है यानि मात्र 10% ही उत्पादित धान की खरीद सरकारी निर्धारित Rs2400/ प्रति क्विंटल दर पर की जाएगी। यानि किसानों द्वारा उत्पादित 90% धान लगभग 54 लाख टन की विक्री विवश होकर किसानों को स्थानीय निजी व्यवसायियों को ₹1800 / से Rs1900/ प्रति क्विंटल की दर से बेचना पड़ेगा जिस कारण गरीब किसानों को Rs500/ से Rs600/ प्रति क्विंटल की दर से नुकसान होगा जो किसानों का भयंकर शोषण है।
आनंद कोठारी ने जानकारी दी कि राज्य में लगभग 40 लाख किसान धान का उत्पादन करते हैं और धान राज्य की मुख्य फसल है। उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि राज्य के गरीब किसानों को उनकी कड़ी मेहनत से उपजाई फसल का उचित मूल्य मिले ताकि इनके परिवार का जीवन पोषण सही से हो सके। 60 लाख क्विंटल धान की खरीद लगभग 2 लाख किसानों से किया जाएगा यानि सेश 38 लाख किसानों को सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा, उनका धान Rs2400/ प्रति क्विंटल की दर से नहीं खरीद होगी उन्हें Rs500/ से Rs600 प्रति क्विंटल की दर से भारी नुकसान सहना पड़ेगा जो 38 लाख किसानो का शोषण है। सरकार को कम-से-कम 20 लाख टन धान की खरीद लगभग 20 लाख किसानों से सीधे खरीद करनी चाहिए। धान अधिप्राप्ति केंद्र कम-से-कम 4000 स्थापित करना चाहिए, ताकि सुगमता से अधिक से अधिक किसानों से धान की खरीद हो सके। इस प्रकार की व्यवस्था करने पर राज्य की ग्रामीण अर्थ व्यवस्था सुदृढ़ होगी, पलायन रुकेगा और राज्य तेजी से विकास होगा।
किसान की समृद्धी! राज्य एवं राष्ट्र की समृद्धी!!
जय अन्नदाता किसान! जय झारखंड! जय भारत!!