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सीएमओ को भी नहीं दिख रहा लालगंज सरकारी अस्पताल में चल रहा कमीशनखोरी का खेल

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रायबरेली : लालगंज तहसील क्षेत्र में शासन के नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां एक तरफ उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री भले ही अपने अधिकारियों को समय-समय पर दिशा निर्देश देते हैं, लेकिन जिले में बैठे उच्चाधिकारी व कर्मचारी उनकी साख पर बट्टा लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं और धृतराष्ट्र की भूमिका में नजर आ रहे हैं। तभी तो सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों द्वारा बेखौफ होकर मरीजों व तीमारदारों का बाहरी महंगी दवाओं के नाम जमकर आर्थिक शोषण किया जा रहा है और इस बाबत जिला प्रशासन सिर्फ तमाशाई की भूमिका में नजर आ रहा है। जबकि ऐसे अधिकारियों पर जांच कर कारवाई करनी चाहिए।जिससे स्वास्थ्य मंत्री के मंसूबों पर पानी फेर रहे जिम्मेदारों को सबक मिल सके।जहां शासन द्वारा सरकारी अस्पतालों में प्रतिमाह लाखों रुपये की दवाओं की आपूर्ति की जा रही है। बावजूद इसके तीमारदारों व मरीजों को बाहर से महंगी दवाओं की खरीददारी करनी पड़ रही है। मरीजों को बाहरी दवाएं लिखने से चिकित्सक परहेज नहीं कर रहे हैं। जिससे मरीजों की जेब कट रही है।वहीं शासन की मंशा पर पानी फिर रहा है। प्रशासनिक अफसर भी चिकित्सकों की कार्यशैली पर अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लालगंज में डाक्टरों द्वारा बाहरी दवा लिखने से मरीज व तीमारदार दोनों परेशान हैं। मेडिकल स्टोर पर मिलने वाली दवा पर्ची पर लिखते हैं। जिससे 1500 से दो हजार रुपये तक की दवा मरीजों व तीमारदारों को खरीदनी पड़ रही है। यही नहीं सूत्रों की मानें तो प्रसव के लिए आने वाली प्रसूताओं को भी बाहर से दवा लेने के लिए पर्ची थमा दी जाती है। मरीजों का कहना है कि बाहरी दवा के लिए जब आपत्ति की जाती है, तो चिकित्सकों द्वारा कहा जाता है कि इलाज के लिए आवश्यक दवा अस्पताल में नहीं है। क्षेत्र के प्रबुद्धजनों ने सीएमओ से जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।

पैथोलॉजी लैब जहां जांच कराने के लिए कहते हैं डॉक्टर

डॉक्टरों के साथ कमीशन तय है। अस्पताल के बाहर तथा बाजार में दर्जनों लैब संचालित हो रहे हैं जो डॉक्टरों के साथ कमीशन तय करके मरीजों की जांच करते हैं। जांच का सैंपल बाहर भेजा जाता है,क्योंकि इनके पास पर्याप्त जांच उपकरण मौजूद नहीं रहते हैं। अस्पताल में होने वाली नि:शुल्क जांचों को बाहर 700 से 1 हजार रुपए तक किया जाता है। इतना ही नहीं मरीजों से यह तक कह दिया जाता है कि प्राइवेट पैथोलॉजी पर संबंधित बीमारी की सत्यता पता चलती है। इसके कारण मरीज भ्रमित हो जाते हैं और उन्हें तय कमीशन लैब पर जांच कराने के लिए विवश कर दिया जाता है। इतना ही नहीं कुछ फिक्स कंपनियों की दवाएं मरीजों को लिखी जाती हैं, जिन पर कमीशन खोरी का गोरख धंधा संचालित किया जा रहा है।

लालगंज अस्पताल में कमीशन के चक्कर में सरकारी पर्चे की बजाय पर्ची पर डाॅक्टर लिख रहे दवाएं

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लालगंज में मरीजों के लिए सभी प्रकार की जांचों की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। यहां तक कि प्रत्येक बीमारी की सरकारी दवाएं केंद्र में मौजूद हैं, पर कमीशनखोरी के चक्कर में अस्पताल के डॉक्टर ही मरीजों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। अस्पताल के पर्चे पर खानापूर्ति के लिए कुछ सरकारी दवा लिखकर निजी पर्ची पर बाहर की महंगी दवाएं लिख दी जाती हैं। इन डॉक्टरों को सरकारी जांच पर कतई भरोसा नहीं है। इसलिए बाहर संचालित हो रहे प्राइवेट पैथोलॉजी लैब पर मरीजों को जांच कराने के लिए भेजा जाता है। इस व्यवस्था में मरीजों को सरकारी इलाज से वंचित रखा जा रहा है, वहीं उन्हें महंगा इलाज की खातिर मजबूर किया जाता है।

नि:शुल्क जांचों के भी लग रहे रुपये

सरकारी अस्पताल लालगंज में लगभग हर बीमारी की जांच पूरी तरह से मुफ्त में की जाती है। मरीजों को हीमोग्लोबिन, यूरिन, शुगर, एक्स-रे सहित बड़ी बीमारियों जांच करानी हो तो वह आसानी से अस्पताल में करा सकता है। लेकिन अस्पताल में कुछ डॉक्टर ऐसे हैं, जिन्हें सरकारी जांचों पर यकीन नहीं है।ग्रामीण इलाकों से सरकारी इलाज की मंशा लेकर आने वाले लोग अस्पताल में भी अपने आप को ठगा सा महसूस करते हैं। स्थिति यह हो गई है कि लोग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बजाय अब प्राइवेट क्लीनिकों पर जाने लगे हैं, क्योंकि अस्पताल पहुंचकर मरीजों को वैसे ही बाहर की दवाएं लेनी होती हैं।हालांकि मरीजों के फीस के पैसे बच जाते हैं, इससे भी उन्हें परहेज नहीं है।

मरीजों को लूट रहे कलेक्शन एजेंट

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात चिकित्सक ज्यादातर मरीजों को निजी मेडिकलों की दवा एवं प्राइवेट जांचों पर ज्यादा भरोसा जताते हैं। जबकि अस्पताल में सभी प्रकार की जांचें पूरी साफ सफाई व गुणवत्ता के साथ समय पर होने की सुविधा उपलब्ध है। लेकिन शासकीय अस्पताल के डॉक्टरों को अपने ही विभाग की पैथोलॉजी पर भरोसा नहीं है। अस्पताल एवं लालगंज में बाहर संचालित पैथोलॉजी के नाम पर जांचों का ठेका लेने वाले आधा दर्जन फर्जी लैब संचालक केवल कलेक्शन एजेंट के रूप में दुकानें खोलकर बीमार मरीजों को लूट रहे हैं।

अस्पताल में यह जांचें उपलब्ध

अस्पताल में ब्लड, यूरिन, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, मलेरिया, हैजा, टायफाइड, टीबी, शुगर, हेपाटाइटस सहित अन्य बीमारियों की जांच की जाती हैं। यह जांचें पूरी शुद्धता के साथ अस्पताल की सरकारी लैब में मौजूद हैं, जो पूरी तरह से मरीजों के लिए मुफ्त हैं। एक्सरे मशीन लाखों रुपए की लगाई गई है, सूत्रों की मानें तो जिस पर एक्स-रे कराने की बजाय डॉक्टर बाहर मरीजों का 500 रुपए में कराते हैं। इसी प्रकार यूरिन की जांच 250, टायफायड 600, मलेरिया 200, हैजा 200 रुपए में की जाती हैं। जबकि यह जांचें अस्पताल में बिना पैसों के मरीजों को उपलब्ध हैं। बावजूद मरीजों को बाजार की प्राइवेट लैब पर जांचें करानी पड़ रही हैं।

“यदि ऐसा है तो मामले की जांच कराई जाएगी और मामला सही पाए जाने पर संबंधित डॉक्टर्स के खिलाफ विभागीय कार्यवाही अमल में लाते हुए विधिक कार्यवाही की जाएगी।”

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