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इंदौर में मवेशी अवशेष मिलने से बवाल: बजरंग दल के विरोध के बाद केस दर्ज, हड्डियां फेंकने पर भी विवाद

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इंदौर के एरोड्रम क्षेत्र में मंगलवार शाम उस वक्त हंगामा मच गया जब एक कॉलोनी के पास खाली मैदान में मवेशी के अवशेष मिलने की खबर सामने आई। स्थानीय लोगों ने तुरंत इस घटना की सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर अवशेषों को हटवाया और जांच शुरू की। इस घटना के विरोध में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया और आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की मांग उठाई। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अज्ञात आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है।

बजरंग दल के प्रखंड मंत्री निर्मल ओझा, जो अशोक नगर के निवासी हैं, ने बताया कि उन्हें एक कार्यकर्ता का फोन आया था, जिसमें कृष्णा एवेन्यू के पास मवेशी के अवशेष मिलने की जानकारी दी गई। सूचना मिलते ही संगठन के कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे और अपना विरोध दर्ज कराया। देखते ही देखते मामला गरमा गया, जिसके बाद पुलिस ने भी स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तत्परता दिखाई। बड़ी मात्रा में मिले इन अवशेषों को पुलिस ने हटवाया और अज्ञात आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।

इस घटना के बीच एक और मामला सामने आया है, जिसमें छोटी ग्वालटोली इलाके में नगर निगम की एक महिला कर्मचारी के घर के सामने जानवरों की हड्डियां फेंकने का विवाद खड़ा हो गया। इस घटना के बाद दोनों पक्षों में तनाव बढ़ गया और विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। पुलिस के अनुसार, नगर निगम कर्मी दीपिका बग्गन की शिकायत पर सावन सिरसिया, सौरभ और देव के खिलाफ उनके घर के सामने जानवरों के अवशेष फेंकने और मारपीट करने के आरोप में केस दर्ज किया गया है। दीपिका ने बताया कि उनके पति ने इस कृत्य का विरोध किया, जिसके बाद आरोपियों ने उन पर डंडे से हमला कर दिया।

हालांकि, इस विवाद में दूसरा पक्ष भी पुलिस के पास पहुंचा। आरोपी सावन सिरसिया ने भी दीपिका और उनके पति नरेंद्र के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज कराया है। उसका आरोप है कि अवशेष फेंकने को लेकर हुए विवाद में दंपति ने उस पर हमला किया। पुलिस ने दोनों पक्षों की शिकायतों पर गौर करते हुए कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है और मामले की जांच जारी है।

यह घटना न केवल स्थानीय कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है, बल्कि यह भी दिखा रही है कि कैसे धार्मिक और सामुदायिक भावनाओं को भड़काने की घटनाएं आम हो रही हैं। प्रशासन के लिए यह चुनौतीपूर्ण स्थिति बन गई है कि किस तरह ऐसे संवेदनशील मामलों को निष्पक्षता और सतर्कता के साथ संभाला जाए ताकि किसी भी समुदाय की भावनाओं को ठेस न पहुंचे और न्यायसंगत कार्रवाई हो सके।

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