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मुख्यमंत्री और मंत्री विजयवर्गीय की महापौरों संग अहम बैठक, सुरक्षा से लेकर विकास तक पर लिए गए बड़े फैसले

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क्या आपने कभी सोचा है कि आपके शहर के महापौर को भी अब गनमैन मिलेगा? और क्या अब आपके मोहल्ले की खेल गतिविधियों को सरकार नई रफ्तार देने वाली है? राजधानी भोपाल में हुई एक विशेष बैठक ने मध्यप्रदेश के नगर निकायों की सूरत और सीरत बदलने की दिशा में कई बड़े फैसले लिए हैं। क्या ये सिर्फ एक सियासी शो-ऑफ है या वाकई शहरों के विकास की एक ठोस शुरुआत? आइए, विस्तार से समझते हैं इस पूरी कहानी को…

मध्यप्रदेश के 16 नगर निगमों के महापौर अब जल्द ही गनमैन के साथ नजर आ सकते हैं। नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने गृह विभाग को पत्र लिखकर महापौरों को सुरक्षा देने की सिफारिश की है। विजयवर्गीय का कहना है कि कई बार ठेकेदार कम टेंडर पर काम ले लेते हैं, लेकिन समय पर कार्य नहीं करते। ऐसे में महापौरों को सुरक्षा की आवश्यकता महसूस होती है। उन्होंने यह भी कहा कि अब ऐसे ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई होगी, साथ ही निगम आयुक्तों को निर्देशित किया गया है कि वे महापौरों के साथ बेहतर तालमेल बनाकर कार्य करें।

मंत्री विजयवर्गीय ने यह भी साफ कर दिया कि नगर निगमों को अब अपने खर्च के लिए आत्मनिर्भर बनना होगा। सरकार केवल सहयोग करेगी, लेकिन जिम्मेदारी महापौरों की होगी कि वे आर्थिक संसाधनों के उपाय खुद तलाशें। यह एक बड़ा संकेत है कि निकायों को अब केवल बजट पर निर्भर नहीं रहना है, बल्कि स्वयं योजनाएं बनाकर काम करना होगा। इससे स्थानीय प्रशासन की जवाबदेही भी बढ़ेगी और पारदर्शिता भी।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने महापौरों की बैठक में कहा कि प्रत्येक नगर निगम में अब एक ‘विकास समिति’ बनाई जाएगी। इस समिति में डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, लेक्चरर और अन्य विशेषज्ञ शामिल होंगे, जो मिलकर शहरों के विकास की योजना तैयार करेंगे। मुख्यमंत्री ने यह बात भी स्पष्ट की कि सिर्फ राजनीति से शहर नहीं बनते, इसमें समाज के हर वर्ग की भागीदारी जरूरी है। ये एक तरह से जनता की सीधी भागीदारी को सशक्त करने की दिशा में बड़ा कदम है।

मुख्यमंत्री निवास समत्व भवन में इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव के नेतृत्व में प्रदेश के 12 महापौरों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की। इस दौरान महापौर संघ ने एक मांग पत्र सौंपा, जिसमें प्रोटोकॉल तय करने, वित्तीय अधिकार बढ़ाने, कर्मचारियों की कमी दूर करने और एक-एक सुरक्षाकर्मी दिए जाने की मांग प्रमुख थी। मुख्यमंत्री ने इन मांगों को गंभीरता से लेते हुए महापौरों को आश्वासन दिया कि उनके कार्य को सुचारु रूप से चलाने के लिए सरकार हरसंभव मदद देगी।

खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग ने महापौरों के साथ तात्या टोपे स्टेडियम में एक विशेष बैठक ली, जिसमें खेलों के उन्नयन पर मंथन हुआ। उन्होंने कहा कि पहले से मौजूद खेल मैदानों और अधोसंरचना को बेहतर बनाकर सामुदायिक खेलों को बढ़ावा दिया जा सकता है। भोपाल में बने पहले फिट इंडिया क्लब को मॉडल बनाते हुए राज्य के सभी नगरीय निकायों में ऐसे क्लब स्थापित किए जाएंगे। महापौरों से कहा गया कि वे अपने क्षेत्रों में जमीन चिह्नित कर प्रस्ताव भेजें ताकि खेल गतिविधियां गांव-शहर की दीवारों को तोड़कर हर मोहल्ले तक पहुंचे।

बैठक में खेल विभाग द्वारा शुरू किए गए ‘खेलो बढ़ो अभियान’, ‘पार्थ’ और ‘मध्यप्रदेश युवा प्रेरक अभियान’ जैसे नवाचारों पर भी चर्चा हुई। इन पहलों का उद्देश्य युवाओं को खेलों के जरिए नेतृत्व और अनुशासन सिखाना है। मंत्री सारंग ने कहा कि नगरीय निकायों और खेल विभाग के बीच बेहतर तालमेल से ही इन योजनाओं को ज़मीन पर उतारा जा सकेगा। मुख्यमंत्री और मंत्रियों की इन संयुक्त पहलों से साफ संकेत मिलता है कि सरकार अब सिर्फ घोषणाओं तक सीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि जमीनी बदलाव के लिए तैयार है।

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