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Ayodhya : मुख्यमंत्री जी क्लर्क की कुर्सी बचानी है या प्रदेश की साख?

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1.अयोध्या श्रम विभाग का हवसी बाबू भ्रष्टाचार
2.महिला शोषण और सत्ता संरक्षण की शर्मनाक दास्तान!
3.राक्षसी बाबू विनय कटियार, फोटो साक्ष्यों के बावजूद शासन क्यों है मौन?
4.शासन कब करेगा इंसाफ का वार,क्लर्क की कुर्सी से हवालात की कोठरी तक

ब्यूरो रिपोर्ट : शिवा मौर्य

उत्तर प्रदेश सरकार की महिला सुरक्षा और भ्रष्टाचार-मुक्त शासन की तमाम घोषणाओं को धता बताते हुए अयोध्या श्रम विभाग में तैनात वरिष्ठ सहायक (क्लर्क) विनय कटियार ने ऐसी शर्मनाक हरकतों को अंजाम दिया है जिसने प्रशासनिक तंत्र और न्याय व्यवस्था दोनों को कठघरे में ला खड़ा किया है। यह व्यक्ति केवल एक क्लर्क नहीं, बल्कि पूरे विभाग की नाकामी, भ्रष्टाचार और महिला शोषण का प्रतीक बन चुका है। राज्य सरकार द्वारा विनय कटियार का स्थानांतरण अयोध्या से अंबेडकरनगर किया गया था, लेकिन यह क्लर्क सत्ता संरक्षण की ताकत के चलते सप्ताह में छह दिन अयोध्या कार्यालय में अवैध रूप से बैठता है, और सिर्फ एक दिन औपचारिक हस्ताक्षर करने अंबेडकरनगर जाता है। यह खुला प्रशासनिक उल्लंघन है, जिसे मौन समर्थन मिल रहा है। कारखानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों और मजदूरों ने सैकड़ों बार आलाधिकारियों से लगाकर मुख्यमंत्री तक शिकायतें की गई, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। सूत्रों का कहना कि विनय कटियार कार्यालय में ढंके की चोट पर कहता रहता की हजारों-लाखों की अवैध घूस उपश्रमायुक्त (DLC) और यहां तक कि श्रमायुक्त कानपुर तक पहुंचती है। इस गठजोड़ ने भ्रष्टाचार को संगठित रूप दे दिया है, और कार्रवाई को रोक कर शिकायती पत्रों को रद्दी टोकरी में डाल दिया जाता है। विनय कटियार के खिलाफ सबसे घृणित आरोप शोषण की शिकार महिलाओं के साथ अश्लील हरकतें और यौन उत्पीड़न के साक्ष्य और सपूत भी उच्चाधिकारियों को जा चुके हैं,लेकिन रद्दी की टोकरी में जगह मिली। एक मामले में महिला अपने बच्चे को गोद में लिए श्रम योजना के लाभ हेतु कई दिनों कार्यालय आ रही लेकिन उसके कोई काम नहीं हुए। क्लर्क विनय कटियार ने उसे होटल बुलाकर वहीं दुराचार किया, जब वह महिला अपने बच्चे को दूध पिला रही थी। तब वह क्लर्क दरिंदा राक्षस अपनी हवस मिटा रहा था। फोटो साक्ष्य शासन को भेजे जा चुके हैं, लेकिन अब तक न कोई निलंबन, न जांच।

विनय कटियार खुलेआम कहता है कि वह हर महीने ऊपर तक उपश्रमायुक्त अयोध्या और श्रमायुक्त कानपुर तक रकम पहुंचाता हूं, इसलिए किसी की हिम्मत नहीं जो उसे छू भी सके। ऐसे बयान न सिर्फ प्रशासनिक सड़ांध को उजागर करते हैं, बल्कि प्रदेश सरकार की गरिमा पर भी सवाल खड़े करते हैं।

लगभग 14 सरकारी योजनाएं,लेकिन रिश्वत के बिना एक कागज भी नहीं हिलता,श्रम विभाग की 14 प्रमुख योजनाएं, जिनमें मातृत्व सहायता, कन्या विवाह, पेंशन, तकनीकी प्रशिक्षण, जैसी जनकल्याणकारी योजनाएं शामिल हैं, इनका लाभ लेने वालों को विनय कटियार की जेब भरनी पड़ती है। मजदूर, व्यापारी और महिला श्रमिक हर रोज शोषण का शिकार बनते हैं। पीड़ित महिलाओं, मजदूरों और आम जनता ने सरकार से मांग की है कि विनय कटियार पर सख्त कार्रवाई की जाए। उपश्रमायुक्त अयोध्या और संबंधित अधिकारियों की भूमिका की जांच हो। क्या योगी सरकार महिला सुरक्षा और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस दिखाएगी? यदि ऐसे कर्मचारी खुलेआम सत्ता संरक्षण का दावा करते रहें और शोषण की तस्वीरें साक्ष्य होने के बावजूद भी प्रशासन चुप्पी साधे रखे, तो फिर सवाल सिर्फ एक है – क्या उत्तर प्रदेश में गरीब महिलाओं की अस्मिता सुरक्षित है? यह खबर विभिन्न पीड़ितों, श्रमिक संगठनों और स्थानीय सूत्रों से मिली पुख्ता जानकारी व साक्ष्यों पर आधारित है।

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