रिपोर्ट :- उजमा कुरैशी
इंदौर में स्टूडेंट्स ने मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के दफ्तर का घेराव कर दिया। करीब 500 से ज्यादा स्टूडेंट्स पीएससी दफ्तर के बाहर धरने पर बैठ गए। सोमवार दोपहर से शुरू हुआ प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी रहा।
छात्रों की मांग है कि हर बार की तरह मेंस की तैयारी के लिए ज्यादा समय दिया जाए। प्रदर्शनकारियों का कहना है, कि ये हमारी आर- पार की लड़ाई है। सुनवाई नहीं हुई तो भूख हड़ताल पर बैठेंगे। पीएससी पर मनमानी और तानाशाही के आरोप भी लगाए हैं। मौके परभारी संख्या में पुलिस बल मौजूद रहा। पुलिस अधिकारियों ने स्टूडेंट्स को प्रदर्शन खत्म करने के लिए समझाइश भी दी, लेकिन वे नहीं माने।
उन्होंने कहा कि एक महीने से आश्वासन के अलावा कुछ नहीं हो रहा है। स्टूडेंट आकाश बादल ने बताया 2023 की प्री परीक्षा के परिणाम के बाद सिर्फ 45 दिनों का समय क्यों दिया जा रहा है। इसके पहले 2019, 2020, 2021 और 2022 की परीक्षा में छह से आठ महीने का समय दिया गया था। इस बार इतने कम समय में कैसे तैयारी करें। हमें कम से कम तीन महीने का समय तैयारी के लिए दिया जाए।
‘सिर्फ 60 पदों के लिए भर्ती बेरोजगारों के साथ किया जा रहा है छात्रो के साथ मजाक’
स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया कि मध्यप्रदेश में 45 लाख लोग बेरोजगार हैं। चुनाव के पहले सरकार कहती है कि मोदी की गारंटी है और हम ढाई लाख सरकारी पदों को भरेंगे। इसके बाद मध्यप्रदेश सरकार 60 पदों के लिए विज्ञापन जारी करती है। यह बेरोजगारों के साथ मजाक है। यह सरकार डबल इंजन सरकार की बात करती हैं, लेकिन बेरोजगारों की समस्या नहीं समझी जाती। हमारी मांग है कि 2024 में 500 पद किए जाएं। 13 फीसद का परिणाम अभी जो जारी नहीं किया गया है, उसे जारी किया जाए। स्टूडेंट्स ने यह भी मांग की है, कि मुख्य परीक्षा की कॉपियां जो 2018 तक दिखाई जाती थी, वह फिर से दिखाई जाएं। बबीता चौहान ने कहा कि इतने कम समय में सिलेबस पूरा नहीं हो सकता। कई स्टूडेंट्स का आखिरी अटेम्प्ट है। फिर वे दायरे से बाहर हो जाएंगे। शासन- प्रशासन हमारी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहा है। स्टूडेंट्स का कहना है कि जब तक आयोग के चेयरमैन खुद आकर संवाद नहीं करते, हम विरोध प्रदर्शन करते रहेंगे।