हरदा में पटाखा फैक्ट्री में हुई हृदय विदारक घटना में कई मजदूर भाइयो बहनों के परिवार उजड़ गए इस दुःखद घटना ने पूरे प्रदेश वासियों झंझोर कर रख दिया है। हर तरफ मायूसी छाई हुई है, निरसांध्य ये समय राजनीति का नही है, परंतु पीड़ादायक इस घटना ने निश्चित ही कई प्रश्न खड़े कर दिए है। दोषियों के ऊपर सख्त से सख़्त कार्यवाही होनी चाहिए।
रिहाइशी इलाके में साशन प्रसाशन की नाक के नीचे अवैध पटाखा फैक्ट्री का संचालन किसके संग्रक्षण में चल रहा था?
हरदा की इस फैक्ट्री में इससे पूर्व में भी कई बार ब्लास्ट हुए प्रशासन यदि समय रहते मामले की गभीरता पर संज्ञान लेता तो शायद आज कई मासूमो की जान बच जाती। आखिर कब तक हम बड़ी घटना दुर्घटना हो जाने के बाद जागने की औपचारिकता करते रहेंगे?
हरदा की इस फैक्ट्री में सुरक्षा मानकों के क्या इंतेज़ाम थे ओर घनी आबादी के बीच बारूद का ये खेल क्यू?
इन सब सवालों का जवाब कौन देगा और अब इन सवालों का शायद कोई ओउचित्व भी न हो क्योंकि हर बड़ी लापारवाही के बाद शुरू होता है खेल। मुआवज़े की चादर से आजीवन न भरने वाले गरीब मजदूर किसान के जख्मों को भरने का जिससे नेताओं व जिम्मेदारों को आग की इस लपटों से बचाया जा सके। हरदा में जान गवाने वाले मासूमों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि ईश्वर मृतजनों के परिवारजनों को असहनीय दुःख सहने का साहस दे हिम्मत दे।