बी.सी.सी.एल. क्षेत्र संख्या 6 के आउटसोर्सिंगों में हो रहा है मानकों का उल्लंघन
केंदुआ : भारत कोकिंग कोल लिमिटेड की कुसुंडा क्षेत्र संख्यां 6 के अंतर्गत संचालित आउटसोर्सिंगों में मानकों का उल्लंघन कर बेख़ौफ़ उत्खनन किये जाने का एक मामला प्रकाश में आया है। सूत्रों के अनुसार बताया जाता है कि कुसुंडा क्षेत्र अंतर्गत सभी आउटसोर्सिंग में उत्खनन स्थल पर असुरक्षित विस्फोट किये जाते है। वाहनों के आवागमन करने वाली रास्ते में नियमित पानी का छिड़काव नही की जाती है। माईन्स के अंदर चलने वाले वाहनों का रख रखाव में घोर लापरवाही हो रही है। वाल्वो वाहनों का साईड स्टैंड नही है। इंजन बैक कम्प्रेसर हो चुके है। धुआं काफी काले निकल रहे है। जिससे क्षेत्र में काफी प्रदूषण फ़ैल रही है। वाहनों का बैक लाईट रात्रि में नही जलते हैं। हार्न नही बजते है। चालक सीट बेल्ट उपलब्ध नही है। वाहनों में फायर फाइटिंग की व्यवस्था नही है यदि है भी तो एक्सपायरी डंपिंग के समय कई वाहनों का सही से जैक नही उठते है। स्टेयरिंग और ब्रेक असन्तुलित काम करते है। पुराने बैटरियों का उपयोग किया जाता है। जिससे वाहनों के चढ़ाई चढ़ते वक्त उनके स्टार्ट बंद हो जाते है। कई वाहनों का कागजात भी फेल के बावजूद माईन्स में चलाए जा रहे है। जबकि समय समय पर कोलियरी के सर्वे विभाग द्वारा कनिष्ठ प्रबंधन की देखरेख में वाहनों की जाँच के लिए माईन्स में जाते है जो वाहनों की जाँच न कर मात्र एक स्थान पर बैठकर खैनी, पान एवं अल्पाहार की पैकेट ग्रहण कर आउटसोर्सिंग कंपनी के इशारे पर झूठा खानापूर्ति रिपोर्ट तैयार कर कोलियरी, क्षेत्रीय, मुख्यालय एवं डीजीएमएस को भेज दी जाती है। खनन स्थल से ओबी एवं कोयले की ढुलाई में ओवर रिपोटिंग हो रहा है। कई बीडी वाहनों का भी चालू हालात की रिपोर्ट बीसीसीएल कार्यालय को भेजा जा रहा है। सूत्र बताते है कि आउटसोर्सिंग में कार्यरत मेन पावर के अनुसार कई कर्मी ऐसे है जो कंपनी में कार्यरत है। जिनके न बी फार्म में नाम दर्ज है और न ही उन्हें कोल इंडिया द्वारा निर्धारित वेतन का लाभ मिल पा रहा है और वे मौखिक रूप से कार्य कर रहे है। जिनका मासिक वेतन बैंक खाता में भुगतान न कर हाथो हाथ 5 से 7 हजार रूपये भुगतान किए जाते है साथ ही। चिकित्सा, पीएफ, बोनस, सेफ्टी व अन्य सुविधाओं से उन्हें वंचित रखा जाता है। उनका दैनिक उपस्थिति कंपनी के रिकार्ड से बाहर रखी जाती है, ताकि कर्मी के कुछ होने पर मामले को लीपापोती किया जा सके। इस संबंध में बीसीसीएल प्रबंधन द्वारा कभी भी किसी प्रकार की सुधि नही ली जाती है।