राजधानी रांची और उसके आसपास अपराध के कई मामले सामने आते हैं, जो जमीन से संबंधित होते है। बात करें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की तो वे अवैध तरीके से जमीन की खरीद-परोख्त से जुड़े मामले में इस वक्त रांची के होटवार जेल में बंद है। इसके साथ ही इसी मामले में रांची के पूर्व डीसी और निलंबित आईएएस छवि रंजन भी जेल में है। जमीन से संबंधित कई बार ऐसे मामले सामने आते है जिसमें बड़े अधिकारियों के मिलीभगत की बातें भी सामने आती है। एक न्यूज एजेंसी के हाथों कुछ ऐसे ही सबूत हाथ लगे है, जिसमें रांची यूनिवर्सिटी के जमीन की बिक्री का खुलासा किया गया है।
रांची यूनिवर्सिटी के विस्तारीकरण के लिए हुआ था भूमि अधिग्रहण
जो खुलासा हुआ है उसके मुताबिक, साल 2003 से रांची यूनिवर्सिटी के विस्तारीकरण के लिए जमीन अधिग्रहण का कार्य शुरू किया गया था। जिसमें नए परिसर के निर्माण का कार्य किया जाना था। हालांकि भूमि अधिग्रहण को लेकर काफी विवाद हुआ मगर उससे निपटते हुए साल 2010 में जिला प्रशासन ने करीब 7.13 एकड़ जमीन अधिग्रहित कर लिए। लेकिन यूनिवर्सिटी के विस्तारीकरण का कार्य अबतक शुरू नहीं हो सका है और इसकी वजह है सरकारी सरकारी लेट-लतीफी। इतना ही नहीं इसका अच्छा फायदा उठाते हुए राजधानी के कुछ अधिकारियों और जमीन माफियाओं ने आपसी की मिलीभगत से लगभग 70 डिसमील जमीन को अवैध तरीके से खरीदना और बचना शुरू कर दिया है। जमीन को टुकड़ो-टुकड़ों में बेचने का काम किया जा रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहले तो रजिस्ट्रार से भू-माफिया जमीन की रजिस्ट्री कराते है और उसके बाद कांके CO की सहायता से म्यूटेशन करा लेते। जानकारी के अनुसार, रांची के इस जमीन की खरीद-परोख्त का यह मामला साल 2015 से शुरू हुआ है, जो साल 2020 से लेकर 2022 तक सबसे अधिक जमकर बिकी. खुलासा में यह बातें भी बताई गई है, कि जमीन के टुकड़े गलत तरीके से बिकीं तो है, ही लेकिन इसके साथ ही रकबा से अधिक जमीनों की रजिस्ट्री और म्यूटेशन भी करा दी गई है. जिसमें अधिकारियों का हाथ भी रहा है।