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राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना अबुआ आवास मे बड़ा घालमेल की आने लगी है बू

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सूची में भारी गड़बड़ी का लग रहा है आरोप, पक्के व दो तल्ला मकान धारी का भी नाम अबुआ आवास की सूची में शामिल
मामला पेटरवार प्रखंड के चलकरी उतरी पंचायत का, लाभूको की सूची पर उठने लगे हैं प्रश्न, जांच की मांग

बेरमो : राज्य सरकार की सबसे महात्वाकांक्षी योजना गरीबों के लिए पक्का मकान यानी अबुआ आवास योजना शुरु होने से पूर्व ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। मिली जानकारी के अनुसार ऐसे लाभूको के नाम भी इस योजना की सूची में शामिल है जिसके पूर्व से ही पक्का व दो तल्ले का मकान है। हैरत की बात यह है कि ऐसे लाभूको को सूची में प्राथमिकता भी मिलता नजर आ रहा है। ऐसे भी लगभग सरकारी योजनाओं पर इसी तरह आरोप लगता रहा है और कई बार तो आरोप के जांच मे भ्रष्टाचार पकड़ा भी गया और कार्यवाही भी हुई। दुसरे शब्दों में कहें तो झारखंड की सरकार की सबसे महात्वाकांक्षी योजना वर्तमान में अबुआ आवास योजना को ही कहा जा सकता है क्योंकि चुनाव के समय झामुमो की सरकार ने यह वादा झारखंडियो से किया था कि राज्य में सत्ता में आने के बाद वे बेघर लोगो के लिए तीन कमरों की योजना लेकर आयेगी जिसमे माता पिता के अलावे बच्चे भी आराम से एक ही छत के नीचे रह सकेंगे। राज्य सरकार ने जोरशोर से इस योजना को धरातल पर उतारने की पहल शुरू कि जिसका असर भी जिला दर जिला देखने को मिल रहा है मगर हर सरकारी योजना की तरह यह योजना धरातल पर उतरने से पूर्व ही शक के दायरे में आ गया और आये भी क्यो नही जब उपरोक्त आरोपों जैसे साक्ष्य सामने आने लगे।

ज्ञात हो कि उपरोक्त मामला पेटरवार प्रखंड के चलकरी उतरी पंचायत का बताया गया है जहां अबुआ आवास निर्माण के लिए कुल लगभग 800 आवेदन दिये जिसमे जांच उपरांत कुल 93 लाभूको की सूची राज्य और जिला से बना कर प्रखंड और पंचायत को भेजा गया। जिसके बाद विवाद शुरू हुआ और लगभग 325 अपति दर्ज कराने के लिए आवेदन दिए गए। 93 की सूची आने के बाद ही मुख्य मामला उस समय प्रकाश में आया जब चलकरी उतरी पंचायत निवासी पेखा देवी पति मदन रविदास तथा बसंती देवी पति महेंद्र रविदास का नाम लाभूको की सूची में प्राथमिकता सूची में उपर पाया गया। मिली जानकारी के अनुसार उपरोक्त दोनो लाभूको का पहले से ही पक्का मकान है फिर ये लोग अबुआ आवास योजना मे कैसे शामिल हो सकता है वह भी लाभूको की पहली सूची में ही जरुर दाल में कुछ काला है।
इस मामले पर क्या कहते हैं उक्त पंचायत के मुखिया – चलकरी उत्तरी पंचायत के मुखिया अखिलेश्वर ठाकुर का इस मामले में साफ कहना है कि इस मामले से उनका कोई लेना-देना नहीं। सूची बनाने के लिए प्रवेक्षक नियुक्त किया गया था जिनकी देख रेख में पंचायत की लाभूको की सूची बनी थी। संशोधित सूचा आने के बाद फिर से एक बार पंचायत सेवक द्वारा लाभूको की जांच पड़ताल की गई। इसके बाद भी अगर इस तरह की बाते सामने आ रही है तो विभाग पुनः जांच करे।
क्या कहते है प्रवेक्षक – चलकरी उतरी पंचायत के प्रवेक्षक दामोदर स्वरूप का कहना है कि उक्त पंचायत मे योग्य लाभुकों को सूचीबद्ध करने के लिए उन्हें ही प्रवेक्षक नियुक्त किया गया था। उन्होंने बताया कि उनके साथ पांच सदस्यों टीम शामिल थे। सभी अपने अपने मोबाइल से पंचायत के विभिन्न हिस्सों में काम किए। उन्होंने यह भी माना कि हो सकता है कि कोई लाभूको फर्जी वाड़ा कर अपना नाम सूची में शामिल करवाने मे कामयाब हो गया होगा मगर जब शिकायत आयेगी तो फिर से उस लाभूक की जांच पड़ताल होगी। उन्होंने कहा कि 8 सौ लाभुकों के सूची के बीच मात्र 93 लाभूक का चयन होना यह दर्शाता है कि सूची की कितनी बारिकी से जांच पड़ताल हुई है। कहा कि अगर फिर भी कोई शिकायत आती है तो उसकी जांच पंचायत के पंचायत सेवक स्वंय करेगे। कहा कि जब तक हर दृष्टि से लाभूक योजना के लायक साबित नही हो जाता तब तक उसे इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
क्या कहते हैं पंचायत सेवक – वही इस मामले में पंचायत सेवक राहुल कुमार ने बताया कि जिला से जो सूची लाभूको की उन्हे मिली है उसका अभी जांच पड़ताल चल रहा है साथ ही शिकायते भी दर्ज की जा रही है। उन्होंने कहा कि सूची में वे कोई भी फेरबदल नही कर सकते। किसी तरह की शिकायत या अपति मिलती है तो उनके द्वारा प्रखंड विकास पदाधिकारी के समक्ष रख दिया जाता है वहां से जो भी आदेश निर्गत होते हैं हमलोग उसका पाहन करते हैं। अब सवाल उठता है कि जब इस योजना के लाभूको की सूची इतने सख्त जांच पड़ताल के बाद बनी है तो फिर इस तरह के मामले कैसे सामने आ रहे हैं। निश्चित ही कही ना कही कुछ ना कुछ दाल में काला जरुर है या फिर पुरी दाल ही काली है। बहरहाल यह जांच का विषय है। वहीं दुसरी तरफ इसी पंचायत की विधवा दो छोटे बच्चों की माँ पोदिना देवी का कहना है कि उनका नाम सूची में दर्ज है मगर इतना नीचे दर्ज है कि मेरा नंबर आते आते काफी समय लग जायेगा और बरसात में उसे फिर अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ टपकते छत के नीचे रहना होगा जबकि पक्के मकान धारी को सूची प्राथमिकता हासिल है।

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