सम्भल : रमजान का महीना चल रहा है। इस्लाम के पांच इबादतों में एक पाक महीना रमजान महीने को बताया जाता है। इस रमजान पाक महीने मे हर मुसलमान एक महीने का रोजा रखता है। ऐसे में कहा जाता है इस रोजे के दौरान अगर कोई रोजेदार अपना रोजा खजूर से खोलता है तो उसे सुन्नते रसूल कहा जाता है। रमजान का महीना आते ही सम्भल के बाजारों में खजूर की मांग बढ़ गई है। रोजेदारों की मांग को देखते हुए बाजारों में कई किस्मों के खजूरों की खेप भी आ गई है। जाहिर सी बात है कि रोजेदार ज्यादातर खजूर से इफ्तार और सेहर करते हैं। उलेमा भी बताते हैं कि खजूर से इफ्तार करना सुन्नत है। इस तरह के मान्यताओं की वजह से ही रोजेदार रमजान माह में जमकर खरीददारी करते हैं। सम्भल मंडियों में विभिन्न प्रकार की खजूरों की आवक को लेकर यहां के खजूर विक्रेता कहते हैं कि वैसे यहां पर कई देशों से खजूर आते हैं लेकिन ईरान, इराक और सउदी अरब के खजूर की बात ही कुछ अलग होती है। सम्भल शहर सहित शंकर कॉलेज चौराहा, अस्पताल चौराहा, नखासा चौराहा, सरायतरीन विभिन्न इलाको में खजूर की दुकाने सज रही हैं और दुकानों पर रोजेदार भी उमड़ रहे हैं।
खजूर विक्रेता मोहम्मद रियाजुद्दीन बताते हैं कि खजूर की वैरायटी मार्केट में उपलब्ध हैं, लेकिन इराक और अरब के खजूर को काफी पसंद किया जाता है। इराक और ईरान के खजूरों की खास बात ये है कि अन्य खजूरों के मुकाबले इनकी कीमत कम होती है और हर आदमी तक इनकी पहुँच भी है। लेकिन रमजान महीने में रोजेदारों का खजूर से रोजा खोलने की परंपरा है। इस बार खजूर की कीमत 300 रूपये किलो से खजूर 2400 रूपये किलो बाजार में चल रही है, जो गरीबों के बजट के अंदर आते हैं। मार्केट में इराक और ईरान के साथ सउदी की खजूर सबसे अधिक देखने को मिल रही है जो रोजेदारों को भी पसंद है। इससे रोजेदारों को पूरी ताकत मिलती है। खजूर खाकर ही रोजा खोला जाता है। इससे प्यास भी नहीं लगती है और ये स्वास्थ्य के लिए भी काफी अच्छा है।