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रांची : भारत देश में आज दशहरा या विजयादशमी का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जायगा

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हिंदू धर्म में दशहरा या विजयादशमी (अधर्म पर धर्म) की विजय का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन शस्त्र पूजन, अपराजिता व शमी पूजन के साथ रावण दहन की परंपरा भी है। आगे बताते चले की 12 अक्टूबर को रावण दहन का सबसे उत्तम मुहूर्त-आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इसे विजयादशमी के नाम से भी जानते हैं। इस साल दशहरा 12 अक्टूबर, शनिवार को है। इस दिन को आयुध पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इस त्योहार को लेकर हिंदू धर्म ग्रंथों में कई कथाएं वर्णित हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। वहीं एक अन्य मान्यता है कि मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का अंत किया था। यह पर्व बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। दशहरा का दिन हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना गया है। लेकिन इस दिन के शाम के समय को सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है। दशहरा के शाम के समय को विजय काल कहा जाता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि विजय यानी सफलता और काल यानी समय। विजयकाल को सफलता का समय माना गया है। कहा जाता है कि विजय काल में कार्यों को करने विजय प्राप्त होती है। दशहरा के दिन किसी भी नए काम की शुरुआत व खरीदारी करना अत्यंत शुभ माना गया है।

मान्यता है कि इस दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन बेहद शुभ माने गए हैं। ज्योतिष गणना के अनुसार, दशमी तिथि 12 अक्टूबर को दिन में 10 बजकर 58 मिनट पर प्रारंभ होगी और 13 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी। रावण दहन का शुभ मुहूर्त सूर्यास्त के बाद से रात 10:33 बजे तक रहेगा। इस साल रावण दहन का सबसे उत्तम मुहूर्त शाम 05:53 बजे से शाम 07:27 बजे तक रहेगा। रावण दहन हमेशा प्रदोष काल में श्रवण नक्षत्र में ही किया जाता है। श्रवण नक्षत्र 12 अक्टूबर को सुबह 05 बजकर 25 मिनट पर प्रारंभ होगा और 13 अक्तूबर को सुबह 04 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। दशहरा के दिन पूजन का विजय मुहूर्त दोपहर 02:02 बजे से दोपहर 02:48 बजे तक है। अपराह्न पूजा का समय दोपहर 01:16 बजे से दोपहर 03:35 बजे तक है।

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