AIIMS Raebareli Achieves Medical Milestone: एम्स रायबरेली में पैराथाइरॉइड सर्जरी की पहली सफलता: रोगी को नई उम्मीद

AIIMS Raebareli Achieves Medical Milestone: गर्दन के ट्यूमर को हटाकर एम्स रायबरेली ने लिखी मेडिकल नई कहानी

AIIMS Raebareli Achieves Medical Milestone: रायबरेली (Raebareli) में चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई सफलता ने उम्मीद की किरण जलाई है। एम्स रायबरेली की टीम ने हाल ही में एक बेहद जटिल सर्जरी को अंजाम दिया, जिसने रोगी के जीवन में नया मोड़ ला दिया। यह मामला केवल एक साधारण ऑपरेशन तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें गर्दन और हड्डियों से जुड़े हार्मोनल विकारों का गहन और सटीक उपचार शामिल था। सर्जरी के दौरान कई विशेषज्ञों की संयुक्त टीम ने मिलकर काम किया और रोगी की सुरक्षा और बेहतर परिणाम सुनिश्चित किए। यह सफलता एम्स रायबरेली के चिकित्सकीय नवाचार और उन्नत तकनीकों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। चिकित्सा के क्षेत्र में एम्स रायबरेली कि इस कामयाबी के पहलू को जानिए विस्तार से।

रोगी की कहानी और निदान/AIIMS Raebareli Achieves Medical Milestone

50 वर्षीय आशा कार्यकर्ता महिला (Asha Worker Woman) पीठ के निचले हिस्से में दर्द और गुर्दे की पथरी की शिकायत के साथ एंडोक्रिनोलॉजी ओपीडी (Endocrinology OPD) में आईं। प्रारंभिक जांच में पता चला कि उनके रक्त में कैल्शियम का स्तर असामान्य रूप से उच्च है। प्रोफेसर मधुकर मित्तल (Professor Madhukar Mittal) के नेतृत्व में एंडोक्रिनोलॉजी टीम ने विस्तृत परीक्षण किए और गर्दन में ट्यूमर की पहचान की। यह ट्यूमर दाहिनी अवर पैराथाइरॉइड ग्रंथि में था और प्राथमिक हाइपरपैराथाइरॉइडिज़्म (Hyperparathyroidism) का कारण बन रहा था। यह स्थिति हड्डियों, गुर्दे और मानसिक स्वास्थ्य सहित कई शारीरिक प्रणालियों को प्रभावित कर सकती है। रोगी की लक्षण सूची में बार-बार पेशाब आना, पेट दर्द और थकान शामिल थे। निदान के बाद सर्जरी का निर्णय लिया गया, जो रोगी के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता के लिए आवश्यक थी।

सर्जिकल टीम और तैयारी

सर्जरी की सफलता में टीम की व्यापक भूमिका रही। ईएनटी और हेड नेक सर्जरी विभाग (Head Neck Surgery Department) के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अरिजीत जोतदार (Dr. Arijit Jotdar) ने सर्जिकल टीम का नेतृत्व किया। टीम में डॉ. मोनिका और डॉ. सृष्टि शामिल थीं। एनेस्थीसिया विभाग का नेतृत्व डॉ. विजय बाबू ने किया, जबकि एंडोक्राइन मेडिसिन विभाग में डॉ. हरेंद्र और डॉ. शक्ति शामिल थे। टीम ने रोगी की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सभी उपकरणों और तकनीकों की पूरी तैयारी की। सर्जरी के लिए ट्रांससर्विकल एप्रोच अपनाया गया, जो पैराथाइरॉइड ग्रंथियों और आवर्तक लेरिंजियल तंत्रिका की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। इस योजना के तहत टीम ने ट्यूमर को सटीक रूप से हटाने की रणनीति बनाई, जिससे न्यूनतम जटिलता और बेहतर परिणाम सुनिश्चित हुए।

सर्जरी की प्रक्रिया

सर्जरी में 4×4 सेमी आकार के दाहिनी निचली पैराथाइरॉइड ग्रंथि के ट्यूमर (Parathyroid Gland Tumors) को हटाया गया। ट्रांससर्विकल एप्रोच से ऑपरेशन किया गया, जिससे सामान्य पैराथाइरॉइड ग्रंथियों और आवर्तक लेरिंजियल तंत्रिका को संरक्षित रखा गया। टीम ने अत्यधिक सटीकता और सावधानी के साथ ट्यूमर को हटा कर रोगी को राहत प्रदान की। फोरेंसिक और बायोकेमिस्ट्री विशेषज्ञों की सहायता से ट्यूमर का विश्लेषण किया गया। पूरे ऑपरेशन के दौरान टीम ने रोगी की जीवन सुरक्षा और हार्मोनल संतुलन दोनों पर विशेष ध्यान रखा। यह प्रक्रिया एम्स रायबरेली के लिए एक मील का पत्थर साबित हुई, क्योंकि यह संस्थान की एंडोक्रिनोलॉजी और सर्जिकल क्षमता को दर्शाती है।

टीम सहयोग और तकनीकी पहलू

सर्जरी में विभागाध्यक्ष डॉ. अनन्या सोनी Head of (Department Dr. Ananya Soni) और सभी रेजिडेंट, नर्सिंग व तकनीकी स्टाफ का सहयोग महत्वपूर्ण रहा। टीम ने उच्च तकनीकी उपकरणों का उपयोग करते हुए न्यूनतम जोखिम के साथ ऑपरेशन किया। हर सदस्य की भूमिका स्पष्ट थी, जिससे संचालन सुचारू और सुरक्षित बना। एनेस्थीसिया विभाग (Department of Anaesthesia) ने रोगी की स्थिरता बनाए रखी, जबकि एंडोक्राइन टीम ने हार्मोनल संतुलन पर ध्यान रखा। यह सहयोगी प्रयास एम्स के मल्टीडिसिप्लिनरी दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है, जो जटिल मामलों में सफलता की कुंजी है। टीम की इस संयुक्त कोशिश ने रोगी को जटिल और खतरनाक प्रक्रिया से सुरक्षित रूप से बाहर लाने में मदद की।

सफलता, लाभ और भविष्य

एम्स रायबरेली (AIIMS Raebareli) ने इस पैराथाइरॉइड सर्जरी की सफलता से रोगियों के लिए नई उम्मीदें जगाई हैं। यह नवाचार न केवल जटिल एंडोक्रिन विकारों के उपचार में मदद करेगा, बल्कि भविष्य में ऐसे मामलों के लिए मार्गदर्शन भी प्रदान करेगा। सर्जरी का पूरा खर्च आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना से कवर किया गया, जिससे आर्थिक बाधा नहीं बनी। कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. अमिता जैन ने टीम की सराहना की और कहा कि मल्टीडिसिप्लिनरी दृष्टिकोण ऐसे जटिल रोगियों के इलाज में प्रभावी साबित होता है। इस सफलता ने एम्स रायबरेली की प्रतिष्ठा को और मजबूत किया और स्वास्थ्य क्षेत्र में नवाचार और सहयोग की दिशा में प्रेरणा दी। मरीज अब सामान्य जीवन की ओर लौटने में सक्षम है, और यह मेडिकल टीम की विशेषज्ञता का प्रतीक बन गया है।

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