Raebareli Jail Women Celebrate Karwa Chauth: रायबरेली जिला कारागार में महिला बंदियों ने मनाया करवा चौथ, उत्सव की रही धूमधाम

Raebareli Jail Women Celebrate Karwa Chauth: जेल में भी रंगीन हुई करवा चौथ की रौनक: महिला बंदियों ने रखी व्रत

Raebareli Jail Women Celebrate Karwa Chauth: रायबरेली (Raebareli) में करवा चौथ (Karwa Chauth) का त्योहार इस बार एक अनोखे रूप में सामने आया। शहर के दिल में स्थित जिला कारागार में, जहां जीवन कठोर नियमों और अनुशासन के बीच बीतता है, वहां महिला बंदियों ने भी अपने प्रियजनों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखा। जेल परिसर में उत्सव की रौनक और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला। यह आयोजन केवल परंपरा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि जेल प्रशासन ने इसे यादगार बनाने के लिए हर संभव व्यवस्था की। इस अनूठे अनुभव में बंदियों ने न केवल अपनी परंपराओं का पालन किया, बल्कि एकजुटता और उत्साह का संदेश भी दिया।

महिला बंदियों की तैयारी और उत्साह/Raebareli Jail Women Celebrate Karwa Chauth

जेल में निरुद्ध 12 महिला बंदियों ने करवा चौथ का व्रत पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ रखा। सभी बंदियों ने त्योहार से पहले अपनी तैयारी शुरू की और पूजा की सामग्रियों की व्यवस्था सुनिश्चित की। जेल प्रशासन ने व्रत और पूजन के लिए थालियां, छलनी, मिठाई और अन्य आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराई। महिला बंदियों ने इस अवसर को अपनी परंपरा और विश्वास के अनुरूप मनाने का प्रयास किया। व्रत के दौरान बंदियों में उत्साह और सामूहिक भावना साफ देखने को मिली। जेल परिसर में इस प्रकार का आयोजन यह दर्शाता है कि कठोर नियमों के बीच भी मानवीय और सांस्कृतिक गतिविधियों का संचालन संभव है।

जेल प्रशासन की भूमिका और व्यवस्थाएँ

जेल अधीक्षक प्रभात सिंह ने इस अवसर पर विशेष व्यवस्थाओं की घोषणा की। जेल में महिलाओं के लिए पूजा सामग्री, छतरी, सजावट और विशेष भोजन की सुविधा उपलब्ध कराई गई। भोजन में पौष्टिक और त्योहार के अनुरूप व्यंजन शामिल किए गए। प्रभात सिंह ने बताया कि जेल में रहकर भी बंदियों को त्योहारों का आनंद लेने का अवसर मिलना चाहिए। इसके अलावा, जेल के अन्य अधिकारी और कर्मचारी भी इस आयोजन में सक्रिय रहे और बंदियों की सहायता की। यह व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि जेल में रहते हुए भी बंदियों का मनोबल और सामाजिक जुड़ाव बना रहे।

पूजन विधि और परंपरा

जैसे ही शाम को चांद निकला, महिला बंदियों ने पूरे विधि-विधान के साथ पूजा का आयोजन किया। छलनी का प्रयोग करते हुए उन्होंने पहले चांद देखा और फिर अपने पतियों (या उनके प्रतीक) को देखा। इस दौरान सभी रीति-रिवाजों का पालन किया गया, जिसमें मंत्रोच्चारण और व्रत कथा सुनना भी शामिल था। जेल में यह आयोजन न केवल धार्मिक अनुशासन का प्रतीक था, बल्कि बंदियों के बीच सामूहिक एकजुटता और सहयोग की भावना को भी बढ़ावा दिया। कई बंदियों ने सजावट और पूजन में सक्रिय भागीदारी की, जिससे जेल परिसर में उत्सव का माहौल बन गया।

जेल अधिकारियों और कर्मचारियों का योगदान

जेल अधीक्षक प्रभात सिंह (Prabhat Singh), जेलर हिमांशु रौतेला (Jailer Himanshu Rautela) और अन्य अधिकारी इस आयोजन में उपस्थित रहे। सभी ने महिला बंदियों की मदद की और सुनिश्चित किया कि पूजा के दौरान किसी प्रकार की कठिनाई न हो। प्रशासन ने यह भी ध्यान रखा कि जेल नियमों और सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए त्योहार मनाया जाए। अधिकारियों की यह सक्रिय भागीदारी महिला बंदियों के उत्साह और मनोबल को बढ़ाने में सहायक रही। प्रभात सिंह ने कहा, “हमारा उद्देश्य है कि जेल में रहने के दौरान भी बंदी अपनी परंपराओं से जुड़े रहें और त्योहार का अनुभव कर सकें।

समाज और मनोबल पर प्रभाव

इस आयोजन ने महिला बंदियों के बीच उत्साह और एकजुटता का माहौल पैदा किया। यह दिखाता है कि जेल प्रशासन द्वारा मानवीय और सांस्कृतिक पहलुओं का ध्यान रखा जाता है। करवा चौथ जैसे त्योहार न केवल परंपरा का पालन कराते हैं, बल्कि बंदियों के मनोबल और सामाजिक जुड़ाव को भी बढ़ाते हैं। जेल में यह आयोजन एक उदाहरण बन गया कि कठिन परिस्थितियों में भी सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव का आनंद लिया जा सकता है। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि भविष्य में ऐसे आयोजनों को जारी रखा जाएगा ताकि बंदियों का जीवन केवल सजा तक सीमित न रहे, बल्कि वे सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी भाग ले सकें।

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