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जरीडीह बाजार की दुर्गा मंदिर में हजारों के संख्या में पूजा करने आते है लोग

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रिपोर्ट : अविनाश कुमार

जरीडीह बाजार के व्यापारियों एवं बुद्धिजीवियों के सहयोग से प्राचीन दुर्गा मंडप को दुर्गा मंदिर का रूप दिया गया। करीब 100 वर्षों से अधिक सालों से मनाई जाती है। दुर्गा पूजा इस दोनों गांव में श्री श्री दुर्गा पूजा समिति के सदस्यो द्वारा मंदिर की देखभाल एवं संचालन किया जाता हैं। बेरमो प्रखंड के कोयलांचल क्षेत्र में स्थित जरीडीह बाजार के व्यापारिक मंडी में करीब सैकड़ों वर्षों से माता दुर्गा की पूजा बड़े ही धूम धाम से आयोजित होते आ रही है। यहां के व्यापारियों एवं समाज सेवियों के सहयोग से इस पूजा का आयोजन हर्षो उल्लास से किया जाता है, इस पूजा में ना सिर्फ जरीडीह के दोनों पंचायत के ग्रामीण बल्कि आस पास के क्षेत्रों एवं दूर दराज के माताएं, बहने, भाइयों, बच्चों, बूढ़े और बुजुर्ग भी सम्मलित होते है।

पूर्व में यह सिर्फ एक मंडप था, धीरे धीरे इसका विस्तारीकरण कर एक मंदिर का रूप दिया गया जिसमे प्रत्येक वर्ष नवरात्र में दुर्गा माता की प्रतिमा की स्थापना विधिवत पूर्वक की जाती है।पिछले कई वर्षो से पश्चिम बंगाल के कारीगर आकार मूर्ति का निर्माण करते है एवं फूल माला और रूप श्रृंगार से सुसज्जित माता का ऐसा रूप देखने योग्य होता है। मूर्ति विसर्जन के दिन माता के चेहरे की मुस्कान उदासी में तब्दील हो जाती है, भक्तों से जुदाई और बिछड़ने का गम ना सिर्फ माता को स्वयं बल्कि समस्त ग्रामीणों के चेहरे पर भी झलकती है। ऐसी मान्यता है कि जो भी सच्चे दिल से अपनी मुराद माता के दरबार में लेकर आता है उसकी झोली कभी भी खाली नही जाती, इसलिए हर साल यहां रोजाना यहां करीब हजारों के भीड़ दर्शालु के रूप में उमड़ती है।

मंदिर प्रशासन की देख रेख करने वाली समिति में मुख्य रूप से अपना योगदान देते आ रहे श्री अनूप कुमार साव, जो कि वर्तमान में साहू तेली समाज के अध्यक्ष एवं दुर्गा पूजा समिति के कोषाध्यक्ष भी है, उन्होंने बतलाया कि इस वर्ष चतुर्थी तिथि दो दिन होने एवं नवमी दशमी का शुभ मुहूर्त एक ही दिन पड़ने के कारण भक्तों के मन में थोड़ी दुविधा हुई है परंतु माता की भक्ति, श्रृंगार , उत्साह, लगन आदि में कोई भी कमी नहीं है। प्रत्येक वर्ष की भाती इस वर्ष भी स्थानीय लोगों का काफी सहयोग मिल रहा है और रोजाना दिन में दो बार यह भजन कीर्तन एवं मंदिर परिसर में खीर एवं खिचड़ी का भोग वितरण आदि किया जाता है। भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर गुप्त दान के साथ साथ सोने चांदी की भी भेट माता को अर्पण करते है। माता के नवदुर्गा का रूप देखने योग्य रहता है।

मंदिर के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल एवं पुजारी शिव कुमार पांडेय समिति के अन्य सदस्यों के सहयोग से पूरे विधि विधान से यह पूजा सफल बनाते है। मंदिर के पुजारी ने बतलाया कि इस वर्ष आज दिन बुधवार को संध्या पांच बजे महाषष्ठी पूजन का शुभ मुहूर्त है जिसमें आज ग्रामवासी विल्बभरनी माता का निमंत्रण अधिवास एवं बेलवृक्ष पूजन दामोदर नाथ महादेव मंदिर के तट पर संपन्न किया जायेगा और कल सुबह पांच बजे महासप्तमी पूजा के कलश यात्रा में जिसमे हजारों की संख्या में महिलाएं और बच्चियां अपने माथे पर कलश रख कर पैदल महास्नान पत्रिका प्रवेश, प्राण प्रतिष्ठा एवं पुष्पांजलि अर्पण कार्यक्रम किया जायेगा। शुक्रवार को महाअष्ठिमी पूजा सुबह चार बजे से आरंभ होगी, जिसमे संधि बलि पूजा, बलिदान पुष्पांजलि पूजा होगी एवं शनिवार को महानवमी एवं महादश्मी पूजा प्रात: छह बजे के पहले आरंभ होगी जिसमे अपराजिता पूजा, शम्मी और खड़ग पूजन के माता की महाआरती के उपरांत अगले दिन विधिवत विसर्जन किया जायेगा। इस पूजा को सफल बनाने में मुख्य रूप से मंदिर के कोषाध्यक्ष अनूप कुमार साव, अध्यक्ष अनिल कुमार अग्रवाल, उपाध्यक्ष अजय भगत, सचिव अश्विनी सोनी, मुख्य कार्यकारणी सदस्य दीपक कुमार गुप्ता, रजत साव, दिलीप साव एवं अन्य सदस्यों का काफी सहयोग रहता है।

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