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आंदोलनकारियों को स्वाभिमान के साथ जीने का संवैधानिक अधिकार दें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन : पुष्कर महतो

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  • पुष्कर महतो की सरकार से मांग, कहा – झारखंड सरकार जीते जी आंदोलनकारियों के साथ न्याय करें एवं राजकीय मान- सम्मान, पहचान व बिना किसी भेदभाव के सम्मान पेंशन दें

रिपोर्ट : मोहन कुमार

झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के संस्थापक प्रधान सचिव पुष्कर महतो ने कहा कि झारखंड सरकार जीते जी आंदोलनकारियों के साथ न्याय करें एवं राजकीय मान- सम्मान, पहचान व बिना किसी भेदभाव के सम्मान पेंशन दें। आंदोलनकारियों के पुत्र पुत्रियों को सीधी नियुक्ति दे तथा रोजी रोजगार एवं नियोजन की गारंटी करें। स्वाभिमान के साथ जीने का संवैधानिक अधिकार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दे। श्री महतो ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा झारखंड मुक्ति मोर्चा के दो दिवसीय महाधिवेशन के दौरान झारखंड आंदोलनकारियों के मृत्यु के पश्चात एक-एक लाख रुपया देने की घोषणा के बाद प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बुधवार को एक प्रेस अभियान के जरिए उक्त बातें कहीं। उन्होंने कहा कि झारखंड आंदोलनकारी दिशोम गुरु शिबू सोरेन के साथ भी बड़ी संख्या में लोग अलग राज्य के आंदोलन में शामिल थे, जिनका स्वास्थ्य लाभ बहुत अच्छा नहीं है अकाल मृत्यु को प्राप्त कर रहे हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में अपंगता को प्राप्त कर रहे हैं कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। आर्थिक तंगी में जी रहे हैं, सामाजिक पहचान खोते जा रहे हैँ। वर्तमान व्यवस्था में अगर शिबू सोरेन माननीय एवं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिता नहीं होते तो उनकी जीवन भी हाशिए में होती, जैसा दूसरे अन्य झारखंड आंदोलनकारियों की है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड आंदोलनकारियों के गौरव पुत्र हैं। झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को झारखंड आंदोलनकारियों के गौरव पुत्र के सम्मानित किया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी जिम्मेवारियों एवं जवाबदेही से भागे नहीं, बल्कि अपने दायित्वों का निर्वाह करते हुए एक-एक आंदोलनकारियों को राजकीय मान-सम्मान अलग पहचान, रोजी रोजगार एवं नियोजन की गारंटी तथा जेल जाने की बाध्यता को समाप्त करते हुए सम्मान पेंशन राशि 50-50 हजार रु.देकर सम्मान का भागी बनें। उन्होंने कहा कि झारखंड आंदोलनकारियों से झारखंड एवं सरकार की विशेष पहचान है। संपूर्ण प्रतिष्ठा. राज्य का अस्तित्व और अस्मिता कायम है, ऐसे में झारखंड आंदोलनकारियों बिना राजकीय मान सम्मान के सिर्फ करने के पश्चात एक-एक लाख सिर्फ़ आश्रित को दिया जाना आंदोलनकारियों का अपमान होगा।

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