रायबरेली में गंगा नदी पर बने गंगा पुल पर कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। क्षतिग्रस्त व दरार रहित पुल से हजारों की संख्या में गिट्टी मौरंग से ओवरलोड ट्रक फर्राटा भरते निकल रहे हैं ना तो परिवहन विभाग ओवरलोड वाहनों पर कोई कार्रवाई कर रहा है। जिस तरीके से परिवहन विभाग और खनन विभाग की मिली भगत से एक बड़े हादसे को दावत दी जा रही है। जिस पर लापरवाह अधिकारी मूक दर्शक बने हैं। रायबरेली जिले के गेगासो गंगाघाट पर गंगा नदी में करीब 1 किलोमीटर लंबा बना यह गंगापुल जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गया है इस पुल के पांच नंबर पिलर के ऊपर जैसे ही ट्रक निकलता है तेज आवाज होती है और पुल के हिस्से टुकड़ों टुकड़ों में नीचे गिर रहे हैं। पुल के ऊपर दिख रही दरारें और जैसे ही ओवरलोड ट्रक यहां से निकलता है, तो इसकी छत भी नीचे दब जा रही है। हालत यही रही तो कभी भी इसकी छत टूट कर गिर सकती है और बड़ा हादसा भी हो सकता है। गंगापुल पर फर्राटा भर रहे ट्रकों पर नजर डालिए हकीकत आपके सामने है। मानक से कई गुना वजन लेकर चल रहे ट्रक हादसों को दावत दे रहे हैं। ट्रक के ऊपर तक आंखों से दिख रही गिट्टी और मौरंग जिले में बैठे जिम्मेदार अधिकारियों की पोल खोलने के लिए काफी हैं। इस पुल से 24 घंटे में हजारों की संख्या में ट्रक इसी तरह ओवरलोड होकर बांदा और फतेहपुर से रायबरेली होते हुए लखनऊ बाराबंकी सुल्तानपुर प्रतापगढ़ गोंडा अयोध्या बहराइच यहां तक की नेपाल बॉर्डर तक गिट्टी और मौरंग लेकर जाते है और अगर इस गंगा पुल की बात करें तो इंदिरा गांधी ने इस पुल का शिलान्यास 1975 में किया था। 1978 में इसे चालू किया गया 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं। यह गंगापुल रायबरेली और फतेहपुर को जोड़ता है। ओवरलोड वाहनों के चलते कई बार पुल क्षतिग्रस्त हुआ मीडिया ने इसको प्रमुखता से शासन को संज्ञान दिलाया जिसके बाद रिपेयर भी किया गया, लेकिन एक बार फिर बड़े हादसे से आगाह करते हुए तस्वीरों को आपके सामने रख रहा है। ऐसे में जरूरत है तत्काल ओवरलोड ट्रकों को समय रहते रोकने की और क्षतिग्रस्त पुल के हिस्से को रिपेयर करने की जिससे बड़े हादसे से बचा जा सके। स्थानीय लोगों की भी मांग है कि तत्काल आवागमन रोककर पुल के क्षतिग्रस्त हिस्से को ठीक कराया जाए जिससे कोई बड़ा हादसा ना हो ।