इंदौर : बुराई के जीतने पर जहा पुलिस का विरोध होता है। वही अच्छाई के विजेता बनने पर पुलिस का सम्मान भी होता है, इसलिए पुलिस के हर एक्शन पर पब्लिक की नजर रहती है।अधिकारी हो…या कर्मचारी..जनता उनके स्टेट्स को नहीं, उनके आचरण और व्यवहार को देखती है । जो अधिकारी इस बात को समझ जाता है। तो उसका नाम सदियों का मोहताज नहीं रहता है। समय के गुजरे कालखंड में ऐसे अनेक नाम है। जो आज भी जनता के दिलो – दिमाग में जिंदा है और भविष्य में जिंदा रहने वाले, नामो को पुलिस पत्रिका ने आज संतोष सभागृह में सम्मानित किया। पुलिस पत्रिका: पहली बार किसी संत ने किया पुलिस वालो का सम्मान ।
पुलिस पत्रिका के 31 वर्ष पूर्ण होने पर 7 मार्च को संपन्न खाकी आइकॉन अवार्ड समारोह में रामस्नेही संप्रदाय के परमपूज्य संत श्री रामप्रसाद जी महाराज ने उत्कृष्ठ कार्य करने वाले पुलिसकर्मियों का सम्मान किया। उन्हे अवार्ड प्रदान किया। किसी संत के द्वारा पुलिस का सम्मान करने वाला यह प्रथम आयोजन था। जिसे सबने सराहा और संत के हाथो से सम्मानित होकर प्रत्येक पुलिसकर्मी के मनोबल को एक नया आयाम मिला। इस अवसर पर संत श्री रामप्रसाद जी महाराज ने कहा कि सैनिक, पुलिस,संत और पत्रकार यह चारो समाज के पहरेदार होते है, अगर यह चारो ईमानदारी से अपना काम करे तो यह भगवान तो नहीं पर किसी भगवान से कम भी नहीं होते है, आप को बता सम्मानित किए गए पुलिस कर्मीयो मे एक एसा नाम है। वसीम खान जिसके नाम झूठा आवेदन कर फसाने कि को कोसिस की गई, मगर सत्य कभी असत्य नही होता वसीम खान का तबादला थाना अजाद नगर से सडयंत्र द्वारा तैजाजी नगर तो जरूर करा दिया गया, मगर मगर जीत सत्य की होती है और आज वसीम खान को अपने सम्मानित होने पर गर्व है। इस कार्यक्रम मे जिस गर्म जोशी के साथ वसीम खान को सम्मानित किया गया है। जिससे यह साबित हो गया है। की आज जीत सत्य की और असत्य की हार हुई।