रिपोर्ट : बंस बहादुर सिंह
रायबरेली के निबंध भवन में हो रहे भ्रष्टाचार पर रोक नहीं लग पा रही है। एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ लोकसभा चुनाव खत्म होने के साथ फिर अधिकारीयों पर नकेल कसने में लगे हैं। विभागों में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही कर रहे हैं और जीरो टॉलरेंस की बात आती है तो, उच्च पदों पर बैठे अधिकारी की भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं । जब विभाग के उच्च पदों पर बैठे अधिकारी खुद भ्रष्टाचार को अंजाम देते हैं। तो उन पर कार्यवाही कर पाना जिले के उच्च अधिकारियों को लोहे के चने चबाने के बराबर होता है। वहीं अगर कोई छोटा कर्मचारी छोटी सी भी गलती करता है। तो उसको बड़े अधिकारी तत्काल कार्यवाही कर देते है। अपनी कुर्सी बचाने के लिए। मामला कलेक्ट्रेट परिसर स्थित निबंध भवन का है। यहां दस्तखत से लेकर पेपर तैयार करने तक के पैसे लिए जाते हैं। कोई भी रजिस्ट्री कोई भी बैनामा बिना साथ गांठ व मोटी रकम लिए होना असंभव है यही नहीं, अक्सर यहां के कर्मचारीयों पर लोग आरोप लगाते थे, कि सब साहब के इशारे पर वसूली करते हैं। लेकिन जब साहब ही हाथों हाथ वसूली कर रहे हो तो फिर क्या पूछना, गौरतलब है कि उप निबंधक पर यहाँ के बैनामा लेखकों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। कहा है कि जब से रायबरेली सदर के निबंध भवन में तैनाती हुई है। तब से लगातार भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं।जिसको लेकर कई बार धरना प्रदर्शन भी किया जा चुका है।लेकिन जिम्मेदार पदों पर बैठे। अधिकारी कोई कार्यवाही नहीं करते हैं।बैनामा लेखको का कहना है की, खुलेआम कार्यालय में भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है। यहां हरिजन की जमीन को सामान्य की जमीन में बदलने के लिए प्रति विश्वास 30 से 40 हजार रुपए के हिसाब से लिए जा रहे हैं।और यह पैसा ऑफिस के कर्मचारी नहीं बल्कि स्वयं साहब वसूल रहे हैं। आओ भगत में खर्च होने वाले चाय बिस्कुट का के पैसे के लिए भी सरकारी बजट का इंतजार करने वाले अधिकारी पर यह आरोप लगना लाजमी है और तो और कर्मचारियों को साहब के लेन देन की भनक नहीं लगती है। और लग भी जाती है। तो उसे पैसे में ऑफिस के कर्मचारियों का हिस्सा भी साहब गटक जाते हैं। बैनामा लेखकों का कहना है कि अगर भ्रष्टाचार बंद नहीं हुआ तो जिलाधिकारी कार्यालय के सामने उप निबंधक के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया जाएगा।