Land Scam Exposed in Hazaribagh: हजारीबाग वन भूमि घोटाला: सत्ता, रजिस्ट्री और सवालों का जाल

Land Scam Exposed in Hazaribagh: प्रतिबंधित जमीन पर बड़ा खुलासा! हजारीबाग की राजनीति पर एसीबी की शिकंजा

Land Scam Exposed in Hazaribagh: हजारीबाग (Hazaribagh) में एक ऐसा मामला उभरा है जिसने स्थानीय सत्ता और प्रशासन के बीच उठे कई सवालों को फिर से जिंदा कर दिया है। प्रमुख आरोपों के बीच एक बहुचर्चित नाम भी शामिल हुआ है— जिससे न केवल मामले की जटिलता बढ़ी है बल्कि राजनीतिक हलकों में भी हलचल तेज हो गई है। एसीबी की प्रारंभिक जांच ने जमीनों की रजिस्ट्रियों और खरीद के तरीकों पर संकेत दिए हैं, पर क्या यही पूरा सच है—या कथित दस्तावेजों के पीछे और पेंच छिपे हैं? मामले में कुछ अधिकारी पहले से हिरासत में हैं, जबकि दबाव में आए पक्ष अपने बचाव में कड़े बयान दे रहे हैं। आइए जानते हैं पूरी ख़बर क्या है

एसीबी की कार्रवाई और आरोपी सूची/Land Scam Exposed in Hazaribagh

हजारीबाग (Hazaribagh) में एसीबी ने प्रारंभिक जांच (पीई) और शिकायत मिलने के बाद मामला गंभीरता से लिया। एसीबी थाना हजारीबाग में दर्ज कांड संख्या 11/2025 के तहत निलंबित आईएएस विनय कुमार चौबे (IAS Vinay Kumar Choubey), नेक्सजेन आटोमोबाइल (Nexgen Automobiles) के मालिक विनय सिंह (Vinay Singh) व उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह (Snigdha Singh) सहित अन्य को आरोपित बताया गया है। प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ कि जमीनों की रजिस्ट्री और स्वामित्व से जुड़े अनेक पहलुओं में अनियमितताएँ हैं। नेक्सजेन के संचालक और उनके नातेदारों के रजिस्ट्रियों की तलाशी ली गई और स्थानीय अंचलाधिकारी व जमीन दलालों के खिलाफ भी कदम उठाए गए। कुछ आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है — जिनमें निलंबित आईएएस और नेक्सजेन के संचालक शामिल हैं।

विधायक पर लगे आरोप— जमीनें और पावर्स

मामले में अब हजारीबाग के भाजपा विधायक प्रदीप प्रसाद (MLA Pradeep Prasad) को भी एसीबी ने अभियुक्त बनाया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने प्रतिबंधित वन भूमि की रजिस्ट्री करवाई और कुछ जमीनों पर अनुचित तरीके से पावर (शक्ति/हक) ले रखा था। एसीबी ने विशेष रूप से उन जमीनों का ब्यौरा खंगाला है जो कथित तौर पर विधायक के माध्यम से खरीदी गईं। आरोप यह भी है कि विधायक कारोबारी विनय सिंह की रजिस्ट्री में गवाह बने थे। जांच के क्रम में एसीबी ने अंचलाधिकारी व जमीन दलालों से जुड़े दस्तावेजों और रजिस्ट्रियों का मूल्यांकन किया, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि किन जमीनों पर प्रतिबंध था और किस प्रकार पावर्स का प्रयोग किया गया।

रजिस्ट्री का इतिहास और जमीनों की स्थिति

जिन जमीनों की बात की जा रही है, उनमें विनय सिंह (Vinay Singh) द्वारा वर्ष 2010 में करवाई गई रजिस्ट्री का उल्लेख है। रिपोर्ट के मुताबिक बभनवे मौजा के खाता नंबर 95 के तीन प्लाट पर 28 डिसमिल व खाता नंबर 73 के एक प्लाट पर 72 डिसमिल जमीन की रजिस्ट्री हुई थी — जिन्हें बाद में वन भूमि बताने का दावा उठाया गया। एसीबी ने इन रजिस्ट्रियों और संबंधित दस्तावेजों की डीटेल में पड़ताल की है, ताकि यह तय हो सके कि रजिस्ट्री करते समय आवश्यक औपचारिकताओं का पालन हुआ था या नहीं। प्राथमिक जांच में ऐसी सूचनाएँ मिली हैं जो अवैध खरीद-बिक्री के संकेत देती हैं, पर एसीबी ने व्यापक दस्तावेजी सत्यापन के बाद ही आगे की कार्रवाई के लिए आवश्यक साक्ष्य संजोए हैं। मामले में पुराने रिकॉर्ड और स्थानीय उपयोग के सबूत भी देखे जा रहे हैं ताकि जमीनी हक़ीक़त का पूरा चित्र सामने आ सके।

प्रतिवाद, बचाव और आगे की प्रक्रिया

विधायक प्रदीप प्रसाद (MLA Pradeep Prasad) ने एसीबी के आरोपों को ठुकराते हुए कहा है कि सारे आरोप बेबुनियाद हैं और सच्चाई कभी छिपती नहीं। उन्होंने दलील दी कि उक्त जमीन वर्ष 1915 की रजिस्ट्री वाली है 110 साल पुरानी और उस पर गत 35-40 वर्षों से कोल्ड स्टोरेज तथा कत्था फैक्ट्री चल रही है। उनका कहना है कि जमींदारी काल से चली आ रही जमीन को अब गलततौर पर वन भूमि बताकर तूल दिया जा रहा है। प्रदीप प्रसाद ने एसीबी से कहा है कि जांच कर ले, वे दस्तावेजी तथ्यों के साथ सामने आकर पूरी सच्चाई दिखाएंगे। फिलहाल एसीबी जांच में जुटी है, और पक्षों के बयान व रिकॉर्ड की क्रॉस-चेकिंग जारी है — परिणाम आधार पर ही आगे की पद्धति तय होगी।

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