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दिल्ली चुनाव: मोदी के एक दांव से बदलेगी प्रवेश वर्मा की किस्मत, नई दिल्ली सीट पर बढ़ गई केजरीवाल की टेंशन!

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दिल्ली विधानसभा चुनाव में नई दिल्ली सीट सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए बहुत खास है. हर कोई इस सीट को जीतने के लिए जतन कर रहा है. इस बीच केंद्र ने 8 वें आयोग की घोषणा की है. जिससे काफी हद तक बीजेपी को फायदा मिलेगा. आइये जानते हैं कैसे बीजेपी कोई दिल्ली सीट पर 8 वें वेतन आयोग की घोषणा से लाभ मिलेगा.

सत्ता की नींव मानि जाने वाली नई दिल्ली विधानसभा सीट को आमने पले में करने के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.सब से पहले अरविंद केजरीवाल के सामने बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा को टिकट दे कर बड़ा दाव खेल दिया है।और अब जीत की पटकथा लिखने के लिए जुट गई है. ऐसे में मोदी सरकार के द्वारा 8 वें वेतन का ऐलान नई दिल्ली सीट पर प्रवेश वर्मा की किस्मत को बदलने वाला माना जा रहा हैं। केंद्र का यह फैसला अरविंद केजरीवाल की सियासी टेंशन बढ़ा सकता है. दिल्ली कि सर्दियों में दिल्ली चुनाव की सियासी सरगर्मी को सब कोई महसूस कर सकते हैं। इसी बीच मोदी सरकार ने गुरुवार को आठवें वेतन आयोग के गठन की मंजूरी देना एक बड़ा सियासी दांव चल दिया है. पीएम मोदी का 8 वें वेतन आयोग का फैसला दिल्ली में बीजेपी के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा सियासी प्रभाव नई दिल्ली सीट पर पड़ सकता है.

इसकी मुख्य वजह यह है कि दिल्ली में सरकारी कर्मचारी वा पेंशनधारिओ की सबसे ज्यादा रहईस नई दिल्ली सीट पर ही हैं, जो कि प्रवेश वर्मा के लिए सियासी संजीवनी का काम कर सकती है। तो केजरीवाल के लिए चिंता का सबब बन रहा हैं।

नई दिल्ली सीट पर केजरीवाल को घेर के रखने का हैं प्लान

मोदी सरकार के द्वारा 8 वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी देना के दिल्ली विधानसभा चुनाव से इसके तार जोड़कर देखा जा रहा है. केंद्र सरकार के द्वारा लिए इस फैसले से बीजेपी नई दिल्ली सीट आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल को घेरने की रणनीति के रूप पर इसका उपयोग कर रही है.

नई दिल्ली सीट के अंदर ही, सबसे ज्यादा सरकारी कर्मचारी रहते हैं. नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में तमाम सरकारी कॉलोनियां स्थित हैं. आप को बताते चले कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन में सुधार के कदम को बीजेपी अपनी उपलब्धि के साथ–साथ केजरीवाल के खिलाफ सियासी हथियार के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकती है.

देखा जाए,तो अरविंद केजरीवाल 2013 से लगातार इसी सीट (नई दिल्ली) से चुनाव जीत रहे हैं। अब चौथी बार चुनावी मैदान में उतरे है. अब केजरीवाल जी की राह पहले की तरह इतनी आसान तो होने वाली नहीं है. पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को घेरने के मकसद से ही नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार ने अचानक गुरुवार को आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है।. इसकी वजह से नई दिल्ली विभानसभा सीट पर हार-जीत का फैसला सरकारी कर्मचारी और उनकी पेंशनर तय करेगी .

नई दिल्ली विभानसभा सीट पर सरकारी कर्मचारी

अरविंद केजरीवाल जिस नई दिल्ली विधानसभा सीट से चौथी बार चुनावी मैदान की फतह करने के लिए उतरे हैं, वहां पर करीब 20 फीसदी से भी ज्यादा वोटर सरकारी कर्मचारी हैं. ये वोटर नई दिल्ली सीट पर जीत और हार का सफर तय करने वाले माने जाते हैं. इन वोटरों को दिल्ली सरकार के मुफ्त-बिजली, पानी और शिक्षा के फैसलों से उतना ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, जितना कि केंद्र सरकार के आठवें वेतन आयोग के गठन के ऐलान से होने की आशंका है. 8 वे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से सीधे तौर पर सरकारी कर्मचारियों के वेतन पर फायदा पड़ेगा ।

नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में भारत सरकार की तीनों प्रमुख शाखाओं का मुख्यालय है, जो कि राष्ट्रपति भवन, संसद भवन और सर्वोच्च न्यायालय हैं.यहा के लुटियन जोन में तमाम केंद्रीय मंत्रालय के मुख्यालय भी हैं. इसके अलावा दिल्ली नगर पालिका है, जिसे हम NDMC के नाम से जानाते है. यही एक प्रमुख कारण है,की सरकारी कर्मचारी बड़ी संख्या में नई दिल्ली सीट क्षेत्र में रहते हैं.

नई दिल्ली विधानसभा सीट के अन्दर सरोजनी नगर, ऐम्स,गोल मार्केट,जोरबाग , नैरोजी नगर, नेताजी नगर, आईएनए मार्केट, लक्ष्मी बाई नगर, किदवई नगर, लोधी कॉलोनी, और बीके दत्त कॉलोनी जैसे बड़े इलाके हैं, जहां पर बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी रहते हैं.

केंद्र सरकार के 8 वें केंद्रीय वेतन आयोग के बड़े फैसले से माना जा रहा है कि कर्मचारियों को वेतन वृद्धि के लाभ को बीजेपी उन वोटरों को अपने पाले में करना चाहती है. अगर सरकारी कर्मचारी इस फैसले के साथ जाते हैं तो प्रवेश वर्मा के लिए अहम साबित हो सकता है और केजरीवाल के लिए टेंशन बढ़ा सकता है.

क्या प्रवेश वर्मा के लिए संजीवनी बनेगा?

केंद्रीय कर्मचारियों को 8 वें वेतन आयोग के गठन का इंतजार लंबे समय से कर रहे थे . ऐसे में मोदी सरकार के द्वारा चुनाव से ठीक पहले इस फैसले को बीजेपी का बड़ा दांव माना जा रहा हैं। इस घोषणा से पार्टी को निश्चित रूप से इस चुनाव में वोट वोट बैंक में बदलने की उम्मीद लगा रही है. अगर देखा जाए तो खासकर नई दिल्ली विधानसभा सीट पर सरकारी कर्मचारियों का विश्वास जीतने की है. ऐसे में नई दिल्ली सीट पर भी बीजेपी बढ़त लेने की भरकस उम्मीद लगा रही है, जहां पर अरविंद केजरीवाल का मुकाबला सीधे तौर पर बीजेपी के पूर्व सांसद रहे प्रवेश साहब सिंह वर्मा से मन जा रहा हैं.

अरविन्द केजरीवाल की रह आसान नहीं

नई दिल्ली सीट पर अरविन्द केजरीवाल को घेरने के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही अपने–अपने धुरंधर नेताओं को मैदान में उनके खिलाफ उतार रखा है.बीजेपी के प्रवेश वर्मा के पिता साहिब सिंह वर्मा साथ ही, कांग्रेस के संदीप दीक्षित की मां शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. ऐसे में केजरीवाल इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले में फंसते हुए दिखाई दे रहे हैं.

नई दिल्ली विधानसभा सीट में नगरपालिका क्षेत्र एक बड़े प्रशासनिक जिले, नई दिल्ली जिले का महत्वपूर्ण हिस्सा है. नई दिल्ली सीट पर तक़रीबन तीन लाख वोटर हैं, जिसमें 89.8 फीसदी अकेले हिंदू धर्म वोटर है. मुस्लिम 5%, ईसाई 2.9% और सिख 2% ही वोटर है. अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली विभानसभा क्षेत्र में सरकारी कर्मचारियों के साधकर ही अभी तक अपनी जीत की पटकथा लिखते आ रहे थे,जिसमें बीजेपी ने सेंधमारी के लिए बहुत बड़ा सियासी दांव चला दिया है.

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